पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने पर हंगामा करने वाली बीजेपी सरकार सत्ता में आने पर चुप क्यो है। मनोज अग्रवाल

कच्चे तेल के दाम गिरने के बावजूद पेट्रोल- डीजल के दामों को बढ़ाना भाजपा सरकार की संवेदनहीनता का जीवंत प्रमाण है।
Citymirrors-news-पेट्रोल- डीजल के दामों में हुई बेतहाशा वृद्धि पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बल्लभगढ़ के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता *श्री मनोज अग्रवाल* ने कहा की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में रिकॉर्ड गिरावट आने के बावजूद भी केंद्र की जनविरोधी मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल- डीजल पर 3- 3 रुपए एक्साइज ड्यूटी बढ़ाना इस सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है। जिस सरकार को जनता से कोई सरोकार ना हो, क्या उस सरकार को सत्ता में रहने का तनिक भी अधिकार है? आज देश कि अर्थव्यवस्था ख़स्ता हाल हो चुकी है, बैंक डूब रहे हैं, रुपया बुरी तरह गिर रहा है, रोज़गार ख़त्म हैं परन्तु केंद्र सरकार हिन्दू- मुसलमान करने में व्यस्त है। राज्यों कि सरकारें अलोकतांत्रिक तरीके से गिरा कर अपनी सरकार बनाने में व्यस्त है, यह भाजपा सरकार की शुद्ध बेशर्मी है। हम इस सरकार से तत्काल प्रभाव से पेट्रोल- डीज़ल व एलपीजी की क़ीमत 40% कम करने एवं पेट्रोल- डीज़ल को भी जीएसटी के अधीन लाने की मांग करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तेल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर गिरने के बाद भी मोदी सरकार ने लोगों को फायदा देने की बजाय उत्पाद शुल्क तीन रुपये बढ़ा दिया, सरकार को इससे 40 हजार करोड़ रुपये का फायदा होगा। कच्चे तेल की कीमत कम होने से सरकार को पहले ही 3.4 लाख करोड़ रुपये का मुनाफा हो चुका है। इस जनविरोधी मोदी सरकार को यह याद होना चाहिए की नवंबर 2004 में कच्चे तेल की कीमतें 35 डॉलर प्रति बैरल थी, उस समय पेट्रोल ₹37.84 प्रति लीटर था। आज इसी कीमत पर पेट्रोल ₹70.29 प्रति लीटर है यानी जनता से हर लीटर पर ₹32.45 की जबरन वसूली की जा रही है। आज देश की जनता यह जानना चाहती है की इस वसूली से आखिर किसे फायदा पहुंचा रही है मोदी सरकार? तेल कंपनियों के आगे नतमस्तक हो चुकी सरकार से क्या जनहितकारी नीतियों की उम्मीद की जा सकती है ? भाजपा को पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के जरिए जनता से अंधाधुंध वसूली की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए।
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