लंबित भुगतान प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है फेसिलिटेशन काउंसिल, एमएसएमई इकाइयां उठाएं लाभ : राजीव चावला
फरीदाबाद। हरियाणा स्टेट माइक्रो एंड स्माल एंटरप्राइजेज फेसिलिटेशन काउंसिल ने कोरोना के कारण चल रहे लॉकडाउन के बाद अपनी फिजीकल मींटिंग शुरू कर दी है।
आईएमएसएमई आफ इंडिया के चेयरमैन श्री राजीव चावला ने यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि एमएसएमई सैक्टर के लंबित भुगतान को प्राप्त करने के लिये यह काउंसिल काफी महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है काउंसिल का गठन एमएसएमई एक्ट 2006 के तहत किया गया है। काउंसिल का मुख्य उद्देश्य एमएसएमई सैक्टर के लंबित भुगतानों पर कार्य करना, भुगतान को लेकर विवादों का हल करना और आरबिटेशन के माध्यम से एमएसएमई सैक्टर्स को भुगतान दिलाना है।
श्री चावला ने बताया कि काउंसिल की वर्किंग प्रक्रिया कितनी बेहतर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अब तक सामने आए 30 प्रतिशत मामले प्रथम नोटिस के साथ ही हल हो गए, जबकि 30 प्रतिशत मामलों को तीन माह में काउंसिल की मध्यस्थता से हल किया गया। 40 प्रतिशत मामलों में खरीददार और विके्रेता के बीच क्वालिटी और सप्लाई को लेकर विवाद देखे गये हैं जिन्हें आरबिटेटर की भूमिका के साथ हल किया गया है।
श्री चावला ने जानकारी दी कि आरबीटेटर के अवार्ड उपरांत सरकारी संगठनों व उपक्रमों को भुगतान कराने में सुविधा होती है जबकि यदि कोई पक्ष आरबीटेशन के सामने प्रस्तुत नहीं होता तो तो एकपक्षीय कार्यवाही का भी प्रावधान कानून में है।
श्री चावला ने बताया कि एमएसएमई काउंसिल वास्तव में लंबित भुगतान को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण मंच सिद्ध हो रहा है। आपने जानकारी दी कि काउंसिल की प्रतिमाह न्यूनतम दो और अधिकतम 4 बैठकें आयोजित की जाती हैं, जिनसे भुगतान प्राप्ति की प्रक्रिया और तीव्र होती है। पिछले 10 वर्ष का रिकॉर्ड का उल्लेख करते हुए श्री चावला ने बताया कि अब तक सैंकड़ों लघु उद्यमियों को उनका लंबित भुगतान दिलाया जा चुका है, जिसकी राशि 400 करोड से भी कहीं अधिक है।
काउंसिल द्वारा दिलाए गए लंबित भुगतान के संबंध में जानकारी देते हुए आपने बताया कि मामले को काउंसिल के समक्ष रखने से लेकर अवार्ड की घोषणा तक बैंक से तीन गुना तक ब्याज के आदेश किए जा सकते हैं।
काउंसिल की कार्यप्रणाली के संबंध में श्री चावला ने बताया कि अब तक के मामलों में 30% विवादों का समाधान 3 माह में, अब अगले 30% विवादों का समाधान 3 से 6 माह में और अगले 20% विवादों का समाधान 9 से 18 माह में किया गया है। यही नहीं आने वाले समय में काउंसिल के अवार्ड को भूमि राजस्व संबंधी बकाया वसूली की तर्ज पर स्वीकृति प्रदान करने संबंधी नियम आने वाले हैं।
श्री चावला के अनुसार कोरोना के कारण हुए लाकडाऊन के कारण कई एमएसएमई सैक्टर्स का भुगतान फंस गया है, ऐसे में काउंसिल इन ईकाईयों के लिए काफी सहायक सिद्ध हो सकती है। इस संबंध में एमएसएमई सैक्टर से जुड़े उद्यमियों से आह्वान किया है कि वे अपने लंबित भुगतान के लिये काउंसिल की सहायता लें।
श्री चावला ने जानकारी दी कि हरियाणा में एमएसएमई की सहायता के लिए एक पृथक विभाग तैयार किया गया है जोकि डायरेक्टरेट जनरल एमएसएमई के अधीन कार्यरत है। इस विभाग का उद्देश्य एमएसएमई को और अधिक तत्परता से सहायता उपलब्ध कराना है, ऐसे में एमएसएमई प्रबंधको को चाहिए कि वे संबंधित नीतियों व योजनाओं का यथासंभव लाभ उठाएं।