इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स ने नर्सिंग होम एसोसिएशन, फरीदाबाद के सहयोग से आयोजित किया इंटरैक्टिव प्रोग्राम।
रोबोटिक्स पीडिएट्रिक यूरोलोजी और नी आर्थ्राइटिस के प्रबन्धन पर विशेष रूप से चर्चा की गई
फरीदाबाद, 4 दिसम्बर, 2021: इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली ने आज नर्सिंग होम एसोसिएशन, फरीदाबाद के सहयोग से एक इंटरैक्टिव प्रोग्राम का आयोजन किया, जिसमें मुख्य रूप से रोबोटिक्स पीडिएट्रिक यूरोलोजी और नी आर्थ्राइटिस के प्रबन्धन पर चर्चा की गई। इस अवसर पर डॉ सुजीत चौधरी, सीनियर कन्सलटेन्ट पीडिएट्रिक (यूरोलोजी एवं पीडिएट्रिक सर्जरी), इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली तथा डॉ यतिन्दर खरबन्दा, सीनियर कन्सलटेन्ट आर्थोपेडिक जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली भी मौजूद थे। कार्यक्रम में फरीदाबाद से विशेष रुप से नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रधान डॉ नरेश जिंदल ,सक्रेटरी अनिता गर्ग इसके अलावा डॉ आभा लोहान, डॉ नीरु कालरा ,डॉ मोना नैयर, डॉ अनु गुलानी, डॉ ऐके कुंडू ,डॉ नरेंद्र घाई ,डॉ
डीएस बक्शी, डॉ शलेंद्र पराशर मौजूद रहे।
प्रोग्राम में दिल्ली से शीर्ष पायदान के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और दोनों स्पेशलटीज़ में आधुनिक सर्जिकल प्रक्रिया, नए उपचारों पर विचार प्रस्तुत किए। आज आधुनिक तकनीक के कारण ऐसी कई सर्जरियां कम जटिल और मिनिमल इनवेसिव हो गई हैं, जिनमें पहले बहुत ज़्यादा जोखिम होता था। इन प्रक्रियाओं पर चर्चा करते हुए, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के विशेषज्ञों ने सर्जरी में आधुनिक तकनीक के उपयोग पर जानकारी दी।
डॉ सुजीत चौधरी, सीनियर कन्सलटेन्ट पीडिएट्रिक (यूरोलोजी एवं पीडिएट्रिक सर्जरी), इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली ने कहा, ‘‘पीडिएट्रिक यूरोलोजी एक सब-स्पेशलटी है जो बच्चों के यूरोजेनाइटल सिस्टम जैसे किडनी इन्फेक्शन, ब्लॉकेज, किडनी एवं संबंधित अंगों में ट्यूमर, ट्रॉमा तथा यूरीनरी टै्रैक्ट में जन्मजात समस्याओं में डील करती है। रोबोटिक सर्जरी, नवजात शिशुओं और बच्चों में हाई-रिक्स सर्जरी को मिनिमल इनवेसिव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रोबोटअसिस्टेड सर्जरी यानि आरएएस का एक फायदा यह भी है कि इसमें छोटा चीरा लगाना पड़ता है, जिससे बच्चों पर मानसिक प्रभाव कम होता है, क्योंकि इन बच्चों के सामने अपनी पूरी ज़िंदगी होती है। मैंने 400 से अधिक रोबोटिक सर्जरियां की हैं और इनके परिणाम पारम्परिक एवं एमआईएस विकल्पों से बेहतर ही रहे हैं। आरएएस में बेहतर सटीकता और 3 डी विज़न मिलता है, खासतौर पर रीकन्स्ट्रक्शन सर्जरी के मामले में यह बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसमें खून का नुकसान कम होता है और सर्जरी के बाद बच्चा जल्दी ठीक हो जाता है। इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स नई दिल्ली के पास पीडिएड्रिक रोबोटिक सर्जरी में सबसे ज़्यादा अनुभव है, यह यूएस सहित दुनिया में इस दृष्टि से तीसरे स्थान पर है। इस तरह की सर्जरी के बारे में जागरुकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है, ताकि ज़्यादा से ज़्यादा मरीज़ इस आधुनिक तकनीक का लाभ उठा सकें।
डॉ यतिन्दर खरबन्दा, सीनियर कन्सलटेन्ट, आर्थोपेडिक जॉइन्ट रिप्लेसमेन्ट, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली ने बताया, ‘‘आजकल घुटनों में आर्थ्राइटिस यानि ऑस्टियोआर्थ्राइटिस की समस्या बहुत ज़्यादा बढ़ चुकी है। इसके कई कारण हैं जैसे उम्र बढ़ना, ज़्यादा वज़न, बार-बार चोट लगना, व्यायाम और टांगों का आकार। ऐसे मामलों में समय पर निदान और प्रबन्धन के द्वारा उपचार के बेहतर परिणाम हो सकते हैं। साथ ही इस उपचार में कई आधुनिक तकनीकें भी आ गई हैं जैसे नॉन-फॉर्मेकोलोजिक, फार्मेकोलोजिक और सर्जरी के आधुनिक तरीकों का उपयोग इलाज के लिए किया जाने लगा है। इससे मरीज़ को दर्द में आराम मिलता है, जॉइन्ट फंक्शन बेहतर हो जाते हैं और साथ ही सर्जरी की प्रक्रिया मिनिमल इनवेसिव होने के कारण जोखिम भी कम हो जाता है। इन आधुनिक प्रक्रियाओं के उत्कृष्ट परिणामों को देखते हुए आज विशेषज्ञ इन्हें अपना रहे हैं। ऐसे में इन विषयों पर चर्चा करने से इनके बारे में जागकता बढ़ेगी और मरीज़ उपचार के आधुनिक तरीकों के बारे में जानकारी पाकर बेहतर परिणाम पा सकेंगे।’
लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करने के उद्देश्य के साथ अपोलो हॉस्पिटल्स मरीज़ों को समय पर उचित देखभाल उपलब्ध कराता है और यह पहल उपचार के आधुनिक तरीकों पर चर्चा को बढ़ावा देने की दिशा में छोटा सा कदम है, जो मरीज़ों के लिए उपचार को आसान बनाएगा।