एमएसएमई को इको सिस्टम प्रणाली के साथ बेहतरीन रूप देने के लिये राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तर पर कदम उठाए जाने की जरूरत। जेपी मल्होत्रा
‘लोकल’ वर्तमान में व्यापार की आवश्यकता और भारत की उन्नति का परिचायक बन गया है और आज जबकि औपचारिक व अनौपचारिक रूप से एमएसएमई सैक्टर आत्मनिर्भर भारत की मुहिम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, ऐसे में यदि इस क्षेत्र को वास्तविक प्रोत्साहन मिले तो वोकल व ग्लोबल परिवेश की ओर कदम और तेज हो सकेंगे।
डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान श्री जे पी मल्होत्रा ने यहां इंटरनेशनल चैंबर आफ सर्विस इंडस्ट्री द्वारा मेकिंग आफ आत्मनिर्भर भारत विषय पर आयोजित सेमिनार में यह विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत और प्रधानमंत्री के ५ ट्रिलियन इकोनोमी के सपने के लिये हमें गाईडलाईन व आउटलाईन निर्धारित करनी होगी ताकि इसका लाभ वास्तविक रूप से अर्थव्यवस्था को मिल सके। श्री मल्होत्रा ने कहा कि औद्योगिक नीति में क्षमताओं को बढ़ाने तथा स्माल बिजनेस की कैपेसिटी के लिये प्रावधान किये गये और कास्ट एफीशिएंसी आधारित राष्ट्रीय आर्थिक नीति जरूरी है। श्री मल्होत्रा ने कहा कि क्षमता के लिये भारतीय युवा महत्वपूर्ण स्त्रोत हैं और इस संबंध में नीतियों को प्रभावी बनाया जाना चाहिए और यही आत्मनिर्भर भारत की ओर महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
श्री मल्होत्रा ने कहा कि ईज आफ डुईंग बिजनेस के लिये ठोस योजना और एमएसएमई को इको सिस्टम प्रणाली के साथ बेहतरीन रूप देने के लिये राष्ट्रीय, राज्य व जिला स्तर पर कदम उठाए जाने चाहिएं।
हाल ही में एमएसएमई सैक्टर की परिभाषा में परिवर्तन पर सुखद प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए श्री मल्होत्रा ने कहा कि यह ईज आफ डुईंग बिजनेस को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। आपने इसके साथ-साथ भूमि, श्रम, तेल, एनर्जी, मैटल और मुद्रास्फीति पर सरकार की तुरंत प्रतिक्रिया को आवश्यक करार देते हुए कहा कि यह प्रभावी अर्थव्यवस्था के लिये जरूरी है।
श्री मल्होत्रा ने कहा कि एमएसएमई सैक्टर में राजनीतिक, ब्यूरोक्रेटिक और लेबर यूनियन का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। आपने इसके साथ-साथ सरकार से व्यवसाय में आने वाले व्यवधानों को तुरंत दूर करने, कॉस्ट, फाईनैंस और रिजनेबिल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ईएसआई, पीएफ, एनपीएस संबंधी नामर्स पर ध्यान देने, नीति आयोग के साकारात्मक निर्णयों की भी आवश्यकता पर बल दिया।
एनएसआईसी के पूर्व सीएमडी श्री रविन्द्र नाथ ने एमएसएमई की उपयोगिता पर विचार व्यक्त करते कहा कि उत्पादकता व निर्यात के बीच सामंजस्य बनाया जाना जरूरी है। आपने कहा कि केवल स्किलिंग और रि-स्किलिंग से ही रोजगार को बनाए रखने में सफलता मिल सकती है।
सेमिनार में श्री सुभाष जकोटा ने अपने १० सूत्री फार्मूले के साथ एमएसएमई की सफलता के मार्ग को प्रशस्त किया। आपने अच्छे अनुभवी लोगों के रोजगार की आवश्यकता पर बल देते कहा कि शार्ट टर्म एंप्लायमैट और स्किल इनवैन्ट्री काफी जरूरी है।
भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट के महासचिव श्री एस के दत्त ने श्री मल्होत्रा के विचारों का समर्थन करते हुए जीएसटी में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया। डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के महासचिव विजय राघवन ने श्रम संबंधी सुधारों की आवश्यकता जताई और टैक्स रिटर्न की संख्या को कम करने का आग्रह किया। श्री पीजेएस सरना ने उद्योगों के विकास के लिये भूमि संबंधी नियमों पर साकारात्मक नीति बनाने का सुझाव रखा। आईईआई फरीदाबाद के सचिव के आर गुप्ता ने उद्योगों में इंजीनियरिंग टैलेंट के प्रयोग की आवश्यकता जताई जबकि रो० महेश त्रिखा ने श्री मल्होत्रा के रिफार्म एजेंडा का समर्थन किया।
हरियाणा राज्य उत्पादकता काउंसिल के श्री एच एल भुटानी ने स्किल डेवलपमैंट पर विचार रखे जबकि सुश्री सुवार्चा अरोड़ा ने ईज आफ डुईंग बिजनेस के लिये प्रयासों की सराहना की तथा डा0 गुलशन शर्मा बेविनार में देशभर के लाखों लोगों की उपस्थिति को सूचना प्रौद्योगिकी की क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्रांति बताया।
बेविनार में डीडीजी आईसीएसआई डा0 गुलशन कुमार, एनएसआईसी के पूर्व सीएमडी रविन्द्र नाथ और मानव संसाधन क्षेत्र में प्रमुख विशेषज्ञ श्री सुभाष जकोटा को पैनल लिस्ट रहे।