एस. एस. वी. अस्पताल में हुआ 20 वर्षीय महिला के हृदय के ट्यूमर का सफल इलाज
एस. एस. वी. अस्पताल में हुआ 20 वर्षीय महिला के हृदय के
ट्यूमर का सफल इलाज
डाक्टरों ने न्यूनतम इनवेसिव तकनीक से किया इलाज
एस. एस. बी अस्पताल में 20 वर्षीय महिला के हृदय से न्यूनतम इनवेसिव तकनीक से ट्यूमर का सफल ईलाज किया। एस.एस.बी अस्पताल में 20 वर्षीय महिला को सांस फूलना व दर्द की शिकायत से पीड़ित थी। ईको और सीटी एन्जियोग्राफी की जाँच करने पर मरीज के दिल के राइट अटरियम में एक गांठ नजर आई। हृदय और लंग्स का सीटी एन्जियोग्राफी करने पर ऐसा लग रहा था कि दोनो लंग्स के कई हिस्सों में खून के थक्के है क्योंकि इतनी छोटी उम्र में हृदय का ट्यूमर होने का चांस कम होता है। इसलिए खून के थक्के को पिघलाने की दवाई दी गई। 48 घंटों के बाद दोबारा से जांच हुई पता चला तो गांठ कम नही हुई, और न ही फेफड़ों के थक्के जिससे हृदय में ट्यूमर की संभावना बढ़ गई और ऑप्रेशन करना एक मात्र ईलाज था। मरीज की कम उम्र और भविष्य की शारीरिक विकास को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों ने सर्जरी की एक खास मिनिमल इनवेसिव तकनीक का इस्तेमाल किया। सामान्य मध्य रेखा चीरे के वजह छाती के दाहिने हिस्से में निशान कम दिखने वाला चीरा लगाकर गांठ का पूरा ऑप्रेशन किया गया। जाँच में गांठ एक प्रकार का ट्यूमर मिक्सोमा निकला। जिसके छोटे-छोटे टुकडे फेफड़ों में टूट कर जा रहे थे और फेफड़ों को ब्लड प्रेशर बहुत बड़ गया था और जिसके वजह से मरीज को साँस फूल रहा था। ऑप्रेशन के बाद आईसीयू में जल्दी से मरीज का स्वास्थ्य ठीक होना शुरू हो गया और 5वें दिन मरीज स्वस्थ्य होकर घर चली गयी। डॉ. एस.एस. सिद्धू (चीफ हार्ट सर्जन, एस.एस.बी. हार्ट एंड मलटीस्पेशयलिटी अस्पताल, फरीदाबाद) की विशेषज्ञता और न्यूनमत इनवेसिव तकनीक के इस्तेमाल से न केवल युवा 20 वर्षीय महिला का जीवन बचाया गया, बल्कि उनके शरीर पर कम से कम निशान भी रहे। डॉ. एस.एस. बंसल ने कहा यह एक अलग तरह का ट्यूमर है। जिसके कई टुकड़े फेफड़ों में जा रहे थे। जिसका मिनिमल इनवेसिव तकनीक से सफल ऑप्रेशन एस. एस. बी. अस्पताल में हो गया है। डॉ. एस.एस. सिद्धू ने कहा कि हम इस मरीज के सफल ईलाज के लिए बहुत खुश हैं। मरीज अब पूरी तरह से ठीक हैं और वह अपने सामान्य जीवन में लौट गई है।