मरीज फोन पर परिवार से करता रहा बात, डॉक्टरों ने दिमाग से निकाल दिया ट्यूमर |
सर्वोदय हॉस्पिटल में फरीदाबाद का पहला स्पीच मैपिंग से हुआ ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन
MUKESH MONDAL – विज्ञान ने पूर्व की कल्पनाओं को आज साकार किया है और मेडिकल विज्ञान भी इससे अछूता नही है, इसी तथ्य को साबित करते हुए सर्वोदय हॉस्पिटल, सेक्टर 8 में 26 वर्षीय ताराचंद की उसके पूर्ण होश में रहते हुए उसके ब्रेन के ट्यूमर की फरीदाबाद में पहली बार स्पीच मैपिंग की मदद से सफल सर्जरी की गयी | जिसका श्रेय हॉस्पिटल के आधुनिक न्यूरो सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. कमल वर्मा, विषेशज्ञ डॉ. गौरव केसरी और एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. आर.के सिंह को जाता है|
ज्ञात हो कि मरीज ताराचंद को कुछ दिन पहले दौरा पड़ा। जब उसके ब्रेन की जाँच की गयी तो उसमे एक ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि हुई जो कि दिमाग के उस हिस्से या उस भाग में स्थित था जो कि शरीर के बोलने की क्षमता को नियंत्रित करता है। मरीज ने अन्य हॉस्पिटलों में दिखाया जहाँ उसे बताया गया की यदि उसके दिमाग के ट्यूमर का ऑपरेशन किया गया तो उसके बोलने की क्षमता हमेशा के लिए शिथिल पड़ जाएगी और वह कभी सामान्य रूप से नही बोल पायेगा |
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रो सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. कमल वर्मा ने बताया कि ” जब मरीज सर्वोदय अस्पताल पहुंचा तब फंक्शनल एम आर आई टेस्ट के बाद मरीज के ब्रेन से यह ट्यूमर को एक जटिल ऑपरेशन करके निकालने का निर्णय लिया गया | चूँकि परम्परागत तकनीक में मरीज को पूर्ण बेहोश करके उसके ब्रेन का ऑपरेशन करके ट्यूमर निकाला जाता है और यह ट्यूमर ब्रेन के बोलने की क्षमता देने वाले हिस्से में था तो इसके फलस्वरूप बोलने की क्षमता खोने का भी खतरा हो सकता था | इसलिए इस ऑपरेशन को मरीज को पूर्ण होश में रखते हुए पूरा करने की रूप रेखा तैयार की गयी | मरीज का पूर्ण जागते हुए ऑपरेशन करने में सबसे बड़ा फ़ायदा यह रहा कि ट्यूमर निकालते समय अगर स्पीच में कोई कमजोरी आए तो उसे तुरंत संभाला जा सकता था | इस ऑपरेशन में मरीज को लकवे (Paralysis) से बचाने में तकनीक का कई स्तरों पर इस्तेमाल किया गया | फंक्शनल एम. आर. आई., न्यूरो नेविगेशन (यह मशीन सर्जरी के दौरान सर्जन की जी. पी. एस (GPS ) की तरह मदद करती है ) और क्यूसा मशीन (जिससे ट्यूमर को तेज और सुरक्षित निकाला जा सकता है ) और एन. आई. एम जैसी आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल हुआ”
सर्वोदय हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जरी विषेशज्ञ डॉ. गौरव केसरी ने बताया कि” अधिकतर जागते हुए ब्रेन सर्जरी में पूरे ब्रेन की मैपिंग की जाती है परन्तु सर्जरी में सिर्फ ब्रेन के उस हिस्से की मैपिंग की गयी जहाँ पर ट्यूमर था जिससे हम ट्यूमर की सटीक अवस्था और स्थिति का पता लगा पाए और हमने ट्यूमर का अधिक से अधिक भाग मरीज की सामान्य स्पीच को नुक्सान ना पहुंचाते हुए निकाल लिया |
सर्वोदय हॉस्पिटल के वरिष्ठ एनेस्थेसिया विषेशज्ञ डॉ. आर.के सिंह ने बताया कि ” इस प्रकार की सर्जरी में एनेस्थेसिया (बेहोश करने की प्रक्रिया ) का बेहद अहम् योगदान होता है क्यूँकि ब्रेन के स्पीच एरिया और बाकि हिस्से में देखने में कोई फर्क नहीं होता इसलिए उसे मरीज को होश में होने और पूरी तरह अलर्ट अवस्था में ब्रेन को स्टिमुलेट करके और ऑपरेशन के दौरान उसकी स्पीच पर ध्यान रख कर ही हो सकता था | इसलिए उसे बेहोश करने का विकल्प हमारे पास नही था उसे होश में रखकर सिर की हड्डियों को काटकर सर्जन को ब्रेन तक पहुंचना एक बड़ा चैलेंज था | हमने सिर को सप्लाई करने वाली बहुत सारी नसों जो दिखाई भी नही देती, उनको एक एक करके सुन्न किया | हमने बहुत पतली 29 गेज की सुई का इस्तेमाल करते हुए इसे सफलता से अंजाम दिया | मरीज ने भी इस पूरी सर्जरी में सहयोग किया “
सर्वोदय हॉस्पिटल के मेडिकल एडमिनिस्ट्रेशन डॉ. सौरभ गहलोत ने बताया कि ” इस प्रकार के ऑपरेशन करने के लिए कुशल टीम के साथ आपसी समन्वय होना बहुत जरुरी होता है | हम सर्वोदय हॉस्पिटल में लगातार कोशिश कर रहे है कि आधुनिक मेडिकल तकनीक और कुशल डॉक्टरी हस्तक्षेप से कठिन से कठिन सर्जरी के बेहतरीन नतीजे अपने मरीजों को मुहैया करवा सकें | “