दिल्ली मैट्रो की आवाज शम्मी नारंग वाईएमसीए विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों से हुए रूबरू
CITYMIRR0RS-NEWS- दिल्ली मेट्रो की आवाज के रूप में पहचान बन चुके जाने माने उद्घोषक तथा दूरदर्शन के लोकप्रिय न्यूज रीडर रहे शम्मी नारंग आज वाईएमसीए विश्वविद्यालय, फरीदाबाद में इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों रूबरू हुए तथा विद्यार्थियों को करियर में सफलता के लिए संवाद कौशल को लेकर जरूरी टिप्स दिये।कुलपति प्रो. दिनेश कुमार की उपस्थिति में शम्मी नारंग ने विद्यार्थियों के साथ अपने काॅलेज के दिनों के किस्सों को भी साझा किया। इस अवसर पर शम्मी नारंग के साथ उनकी पत्नी डाॅली नारंग जोकि म्युजिक कम्पोजर है, भी उपस्थित थीं। वाईएमसीए इंजीनिरिंग काॅलेज में 1978 बैच का हिस्सा रहे शम्मी नारंग ने विद्यार्थियों को बताया कि किस तरह उन्होंने इंजीनियर होते हुए अपने अंदर छुपी प्रतिभा को आगे बढ़ने का अवसर दिया और इसे एक करियर बनाया।
उल्लेखनीय है कि नारंग ने बॉलीवुड की कई फिल्मों के लिए भी काम किया है, जिनमें उत्तेजना, मकबूल, नो वन किल्ड जेसिका, सरबजीत और सुल्तान शामिल हैं। इसके अलावा, उन्होंने कई अंग्रेजी फिल्मों के हिंदी डब के लिए भी अपनी आवाज दी है।शम्मी ने बताया कि काॅलेज के दिनों में वे पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। चालीस विद्यार्थियों के बैच में उनका नम्बर शायद 40वां था लेकिन इसके बावजूद प्लेसमेंट में उनका चयन सबसे अच्छे पैकेज में हुआ, जिसका कारण उनका संवाद कौशल है। उन्होंने बताया कि जरूरी नहीं कि हमारे पास अच्छा ज्ञान है तभी हम अच्छे वक्ता बन सकते है, अपितु यह है कि आप अपने संदेश की कितनी स्पष्टता एवं प्रभावशाली ढंग से संक्षिप्त शब्दों में दूसरों तक पहुंचा सकते है और आप किस प्रकार के शब्दों का चयन करते है।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यदि शब्दों के उच्चारण ठीक में ढंग से किया जाये तो आवाज को प्रभावशाली बनाया जा सकता है। इसके साथ ही, एक अच्छा शब्दकोष होना भी जरूरी है। एक अच्छा शब्दकोष तथा वाक-स्पष्टता आपके संवाद कौशल को बेहतर बना सकते है जो उनके करियर को आगे बढ़ाने में मददगार होगा।शम्मी ने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि मैट्रो ने उनकी आवाज को अमर कर दिया है और जब तक इस देश में मैट्रो रहेगी, उनकी आवाज भी रहेगी।
अपनी यादों के झरोखों से जीवन के कुछ खास अनुभव साझे करते हुए शम्मी नारंग ने बताया कि बात उन दिनों की है जब वाईएमसीए काॅलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान आॅडिटोरियम में साउंड सिस्टम लगाया जा रहा था। एक विदेशी इंजीनियर ने ध्वनि परीक्षण के लिए शम्मी को माइक्रोफोन पर कुछ शब्द बोलने को कहा। शम्मी की आवाज से वह इतना प्रभावित हुआ कि उन्हें वायस आफ अमेरिका के हिंदी विभाग में बोलने का अवसर मिल गया। इसके बाद वह दूरदर्शन से जुड़ गए और दूरदर्शन के जाने माने एंकर रहे।
उन्होंने बताया कि 1980 के दशक में दूरदर्शन पर प्रचारित होने वाले समाचारों की काफी लोकप्रियता थी। इसी दौरान दूरदर्शन में प्रधानमंत्री कार्यालय से फोन आया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की इच्छा है कि उनके समाचार केवल शम्मी नारंग द्वारा ही प्रस्तुत किया जाये। बकौल शम्मी, ‘यह एक अलग अहसास था क्योंकि मैंने कभी कार्यक्रम प्रसारक के रूप करियर की कल्पना नहीं की थी और मैं इस क्षेत्र में नया था।’ शम्मी नारंग की आवाज का प्रभाव इस बात से पता चलता है कि उन्हें दूरदर्शन ने 10 हजार लोगों के बीच से चुना गया था।कार्यक्रम के समापन भी शम्मी ने अपने अंदाज में किया और विद्यार्थियों को जीवन में सफलता का संदेश भी दिया। शम्मी नारंग ने विद्यार्थियों से कहा कि ‘अगला स्टेशन अपकी मनचाही मंजिल है। खुशियों के दरवाजे चारों ओर से खुले रहेंगे। ये आप पर निर्भर करता है कि आप कहां उतरना चाहेंगे और कहां चढ़ना चाहेंगे।’
कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि शम्मी नारंग जैसी प्रतिभाएं इस बात का प्रमाण है कि विद्यार्थियों के लिए शिक्षा केवल डिग्री लेने तक सीमित नहीं होती बल्कि महत्व इस बात का है कि आप अपने जीवन से किस प्रकार प्रेरणा लेते है और करियर को सफल बनाते है। उन्होंने शम्मी नारंग को स्मृति चिन्ह भी भेंट किया।कार्यक्रम का संचालन डीन स्टूडेंट वेलफेयर डाॅ. नरेश चैहान की देखरेख में डाॅ. सोनिया बंसल द्वारा किया जा रहा है।