Home›Faridabad›डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर एमएसएमई सैक्टर को गति प्रदान करने के लिये ठोस पग उठाने का आग्रह किया।
डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जेपी मल्होत्रा ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर एमएसएमई सैक्टर को गति प्रदान करने के लिये ठोस पग उठाने का आग्रह किया।
फरीदाबाद। डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने केंद्रीय एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर एमएसएमई सैक्टर की धीमी विकास दर की ओर जहां ध्यान आकर्षित किया है वहीं एसोसिएशन ने एमएसएमई सैक्टर के समक्ष इंफ्रास्ट्रक्चर, वर्क स्पेस और वित्त की कमी के चलते उभर रही समस्याओं पर तुरंत ध्यान देने व प्रभावी कार्यनीति क्रियान्वित करने का आग्रह किया
है। एसोसिएशन के प्रधान श्री जे पी मल्होत्रा ने बताया कि पत्र में
माननीय एमएसएमई मंत्री का ध्यान एमएसएमई सैक्टर को गति प्रदान करने के लिये ठोस पग उठाने के लिये आकर्षित करते हुए कार्यवाही का आग्रह किया गया है। पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री का मेक इन इंडिया विजिन मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर के जीडीपी में वर्ष २०२५ तक योगदान को १५ फीसदी से २५ फीसदी लाने का है जबकि सांख्यिकी एवं प्रोग्राम मंत्रालय के अनुसार जीडीपी में मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर की भागीदारी १८ फीसदी है। श्री
मल्होत्रा के अनुसार यह वास्तव में चेतावनी भरे संकेत हैं जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
एमएसएमई सैक्टर के समक्ष भुगतान व क्रेडिट संबंधी आ रही समस्याओं का जिक्र करते हुए श्री मल्होत्रा ने कहा है कि १८ प्रतिशत जीएसटी एमएसएमई सैक्टर के लिये और समस्याएं खड़ी कर रहा है। मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर जोकि एक बड़ा सैक्टर माना जाता है के संबंध में श्री मल्होत्रा ने कहा है कि चेन लिमिटेशन और अनौपचारिक कस्टमर रिलेशनशिप के चलते पेमैंट साइकिल
एमएसएमई सैक्टर के लिये साकारात्मक नहीं हो पा रही। यही नहीं अब १८ प्रतिशत जीएसटी और १०० से १२० दिन तक भुगतान मिलने की स्थिति में एमएसएमई सैक्टर्स पर आर्थिक भार पड़ रहा है जोकि एक माह की बिक्री का आंकड़ा है।
श्री मल्होत्रा ने जीडीएस (जीएसटी डिडैक्टिड एट सोर्स) की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा है कि इस संबंध में ऐसे निर्णय जरूरी हैं जिससे जीएसटी में एमएसएमई सैक्टर का पैसा ब्लाक न हो सके।
श्री मल्होत्रा ने सुझाव देते कहा है कि बड़े उद्योगों से यह कहा जा
सकता है कि वह जीएसटी कम्पोनैंट्स को छोटे उद्योगों को हस्तांतरित करें इससे जीएसटी रिटर्न और सुधार के रास्ते खुलेंगे।
इसके साथ ही जीएसटी में दरों को कम करने की भी मांग की है।
उल्लेखनीय है श्री मल्होत्रा ने यह सुझाव व राय पीएचडी चैम्बर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज की पिछली वार्षिक आम सभा में दिए थे जिसे सभी ने सराहा था। आपने इसके साथ-साथ जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया को सरल बनाने, उद्योगों का पैसा ब्लाक होने से रोकने, इनपुट टैक्स क्रैडिट को साकारात्मक बनाने की भी आवश्यकता पर बल दिया है। आपने बताया कि डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने श्री गडकरी का ध्यान इस ओर दिलाया है ताकि एमएसएमई सैक्टर को राहत मिल सके।