Citymirrors-news-औद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर फरीदाबाद की उद्योग नगरी का हाल बेहाल हुआ पड़ा हुआ है। पिछले कई सालों में इसकी काया पलट होने की उम्मीद के सहारे बैठा उद्योग जगत या तो यहां से पलायन होने को मजूबर है या फिर इस समय मूलभूत सविधा नहीं होने से प्रशासनिक और मौजूदा बीजेपी सरकार के और टकटकी लगाए बैठा है। कई सालों से इंडस्ट्रियल एरिया में सड़के नहीं बनने से जगह जगह सड़कों पर बड़े बड़े गड्ढे हो गए है। जिसमें जरा सी बारिश के बाद ही यह पता लगाना मुश्किल है कि पानी में सड़क है या फिर सड़क पर पानी। गुरुवार की रात को हुई बारिश के बाद सेक्टर-22 में वीजी टूल्स और संतोष ट्रेडर्स के सामने सड़क का हाल देखकर शायद ही कोई कहे कि यह स्मार्ट सिटी का हाल है। वहीं सेक्टर-22 ब्राउन लुब्रीकेंट के सामने की रोड का हाल देखकर लोग यह कहते है कि शहर में दो दो मंत्री रहते है। ऐसा लगता ही नही है। वहीं सेक्टर-25 और 24 का भी यही हाल है औद्योगिक नगरी की कई संगठनों ने कई बार यहां इंफास्ट्रक्चर को सही करने के लिए प्रयास किए जिसके बाद राज्य सरकार ने औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर-24, 25, एनआईटी, डीएलएफ आदि क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए 130 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। फरीदाबाद इंडस्ट्री एसोसिएशन के जरिए विकास की योजना तैयार कराई गई। लेकिन आंतरिक राजनीतिक विवाद ने इस पर पानी फेर दिया। आखिर में मंजूर 130 करोड़ रुपए की राशि वापस सरकार के पास चली गई। अब फिर दोबारा केंद्रीय राज्यमंत्री बने कृष्णपाल गुर्जर से गुहार लगाई लेकिन हालात ज्यों के त्यों ही है। औद्योगिक क्षेत्रों में रात के वक्त स्ट्रीट लाइटें न होने से सबसे असुरक्षित महिला वर्कर हैं। यही कारण है कि महिला वर्करों को किसी न किसी के साथ आना-जाना पड़ता है। रात के अंधेरे में आए दिन औद्योगिक क्षेत्रों में लूटपाट की घटनाएं होती रहती हैं। उद्यमियों का कहना है कि इस समस्या के कारण महिला वर्करों को अकेले नहीं भेजा जाता। पांच-सात की संख्या में महिला वर्करों को भेजा जाता है। सेक्टर-22 में एक कपनी मालिक ने बताया कि कई सालों से से सड़क खराब पड़ी है। विकास का दम भरने वाली मौजूदा सरकार से काफी उम्मीदे थी लेकिन अब तक तो कुछ हुआ नहीं । अब बस उम्मीद ही सहरा है। इंफास्ट्रक्चर की कमी के कारण उद्यमियों का कहना है कि जब विदेश से कोई कारोबारी आता है तो उसे किसी फाइव स्टार होटल में ठहराकर उससे बिजनेस डील होती है। यहां मूलभूत सुविधाएं न होने से इंडस्ट्री की छवि खराब हाेती है। जबकि यह काम किसी उद्यमी का नहीं बल्कि सरकार का होना चाहिए। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि एयरपोर्ट पर उतरने के बाद विदेशी कारोबारी बगैर किसी असुविधा के यहां के औद्योगिक संस्थाओं में आ सकें।