हरियाणा के फरीदाबाद में एक परिवार पर कोरोना कहर बनाकर टूटा , कोरोना से एक सदस्य की मौत के बाद 11 साल की एक छोटी बच्ची घर पर अकेले रहने को है मजबूर। आखिर क्यों ??
सेक्टर 28 में रहने वाले एक परिवार पर कोरोना कहर बनाकर टूटा है। कोरोना से जहां परिवार के एक सदस्य की मौत हो गई है, वहीं 11 साल की एक छोटी बच्ची अपने परिवार के सदस्यों से दूर घर पर अकेले रहने को मजबूर है। अस्पताल में दाखिल माता – पिता को लगातर अपनी बच्ची की फिक्र रहती है। घर पर अकेले रह रही बच्ची फोन पर जब अपनी दादी के बारे में पूछती है, तो उसके माता – पिता कोई जवाब नहीं दे पाते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने पांच मई को सेक्टर 28 में रहने वाली 72 साल की बुजु्र्ग महिला में कोरोना संक्रमण की पुष्टि की थी। महिला की हालत शुरू से ही नाजुक बनी हुई थी। उनके परिवार के सदस्यों को क्वारंटीन कर दिया गया था, जिनमें महिला के 73 वर्षीय पति, 45 वर्षीय बेटा, 42 वर्षीय पुत्रवधु व 5 व 11 साल की दो पौत्रियां शामिल थी। परिवार के सभी सदस्यों के सैंपल लिए गए। 9 मई को महिला के पति, बेटे, पुत्रवधु व 5 साल की बच्ची की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई, जिसके बाद इन सभी को भी अस्पताल में दाखिल करा दिया गया। अब घर पर 11 साल की एक बच्चे अकेली रह गई थी। 9 मई को ही रात के समय तबियत अधिक खराब होने से बुजुर्ग महिला की मौत हो गई, जिससे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।
रहती है अकेली बेटी की चिंता
अस्पताल में दाखिल छोटी बच्ची के पिता ने बताया कि उनके अधिकतर रिश्तेदार दिल्ली में रहते हैं। बॉर्डर सील होने के चलते वहां से कोई बच्ची के पास नहीं आ पा रहा है। ऐसे में बच्ची घर पर अकेले रह रही है। घर के ऊपरी फ्लोर पर किराएदार रहते हैं, उनके घर में भी छोटा बच्चा है, इसलिए वह पूरी तरह से हमारी बेटी के संपर्क में नहीं आ रहे। वह बच्ची को दूर से ही खाना आदि उपलब्ध करा रहे हैं। साथ ही डीसी ऑफिस की तरफ से भी बच्ची के लिए फल भेजे जाते हैं। हम हर समय यही सोचते रहते हैं कि बच्ची अकेली घर पर कैसे समय व्यतीत कर रही होगी। दिन में कई बार हम वीडियो कॉल कर उससे बात करते हैं। हालांकि पड़ोस के लोग सहयोग कर रहे हैं। केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने बच्ची के लिए एक महिला पुलिस कर्मी की ड्यूटी लगाने का आश्वासन दिया है। मां की अर्थी को नहीं दे पाए कंधा
उन्होंने बताया कि यह परिवार के लिए बड़े संकट की घड़ी है। कोरोना के चलते मां की मौत हो गई और मैं उनकी अर्थी को कंधा भी नहीं दे पाया। अस्पताल वालों से बोला कि वह मां के अंतिम दर्शन तो करा दें, लेकिन वह भी नहीं हो पाए। हमसे कहा गया कि बाद में आपको फोटो दे दिए जाएंगे। घर पर रह रही बेटी भी अपनी दादी के बारे में पूछती है, तो हम उसे कोई जवाब नहीं दे पाते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे पिता भी काफी बुजुर्ग हैं और अब उनकी फिक्र सताती रहती है। भगवान से दुआ है कि हमारा परिवार जल्द स्वस्थ होकर घर पहुंच जाए।