आई एम एसएमई ऑफ इंडिया के प्रयास रंग लाए, एमएसएमई की परिभाषा बदली।
Citymirrors-news-क्षेत्र के प्रमुख औद्योगिक संगठन आई एम एस एम ई ऑफ इंडिया द्वारा पिछले काफी समय से एमएसएमई सेक्टर में निवेश व टर्नओवर की सीमा बढ़ाने के लिए किए जा रहे प्रयासों को उस समय सफलता मिली कही जा सकती है, जब गत दिवस केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में एमएसएमई की नई परिभाषा को स्वीकृति प्रदान की गई और आईएमएसएमई ऑफ इंडिया की मांग के अनुरूप एमएसएमई सेक्टर की निवेश सीमा को बढ़ाया गया एवं निवेश के साथ-साथ टर्नओवर सीमा को भी परिभाषा में लाया गया।
उल्लेखनीय है कि आईएमएसएमई ऑफ इंडिया की पिछले कई वर्षों से यह मांग थी कि एमएसएमई सेक्टर की निवेश सीमा में बढ़ोतरी की जाए तथा टर्नओवर को भी परिभाषा के तहत लाया जाए। इस संबंध में संगठन के चेयरमैन श्री राजीव चावला की दिसंबर 2019 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के साथ एक बैठक में भी इस संबंध में मांग रखी गई थी कि वर्तमान परिवेश के अनुरूप एमएसएमई सेक्टर की निवेश सीमा में बढ़ोतरी के साथ-साथ टर्नओवर को एमएसएमई की परिभाषा में शामिल किया जाए।
आईएम एसएमई ऑफ इंडिया के इन प्रयासों को उस समय सफलता मिलने की उम्मीदें बढ़ी, जब 14 मई 2020 को वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने एमएसएमई सेक्टर की नई परिभाषा की घोषणा की। इसके तहत माइक्रो सेक्टर की निवेश सीमा को 25 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया गया, स्माल इंडस्ट्रीज की निवेश सीमा को 5 करोड़ से 10 करोड़ रुपए तथा मीडियम सेक्टर की निवेश सीमा 10 करोड़ से 20 करोड़ रुपए करने की घोषणा की गई। इसके साथ साथ सुश्री निर्मला सीतारमण ने टर्न ओवर को भी इस परिभाषा में शामिल करने की घोषणा की। माइक्रो इंडस्ट्री के लिए 5 करोड़, स्माल इंडस्ट्रीज के लिए 50 करोड़ और मीडियम इंडस्ट्री के लिए 100 करोड रुपए टर्नओवर को इस परिभाषा में शामिल करने की घोषणा की गई।
इस संबंध में आई एम एसएमई ऑफ इंडिया ने एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी से 20 मई 2020 को हुई बैठक में इस मुद्दे को पुनः रखा गया और आग्रह किया गया कि मीडियम सेक्टर की निवेश सीमा तथा टर्नओवर संबंधी सीमा में और अधिक बढ़ोतरी की जाए।
श्री नितिन गडकरी ने श्री राजीव चावला को विश्वास दिलाया था कि इस संबंध में केंद्र सरकार तत्परता से कार्यरत है और शीघ्र ही नई परिभाषा की घोषणा की जाएगी।
गत दिवस केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में एमएसएमई सेक्टर की नई परिभाषा के साथ कई परिवर्तन किए गए। नई परिभाषा के अनुसार अब माइक्रो इंडस्ट्री में निवेश की सीमा को एक करोड़ रुपए, टर्नओवर 5 करोड़ रुपए, स्माल इंडस्ट्रीज की निवेश सीमा 10 करोड़ रुपए एवं टर्नओवर को 50 करोड़ रुपए तथा मीडियम इंडस्ट्रीज की निवेश सीमा को 50 करोड रुपए एवं टर्न ओवर को 250 करोड़ रुपए किया गया है। यहां यह तथ्य विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि एक्सपोर्ट से होने वाली टर्न ओवर को इस परिभाषा में शामिल नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही सर्विस क्षेत्र से जुड़े माइक्रो, स्माल व मीडियम इंडस्ट्री को भी इसी क्रम में जोड़ दिया गया है। अब मैन्युफैक्चरिंग सर्विस सेक्टर की परिभाषा एक समान होगी।
आईएमएसएमई ऑफ इंडिया के चेयरमैन श्री राजीव चावला ने केंद्र सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे निश्चित रूप से एमएसएमई सेक्टर को जहां नया प्रोत्साहन मिलेगा।
श्री चावला ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण तथा एमएसएमई मंत्री श्री नितिन गडकरी का विशेष रूप से आभार व्यक्त करते कहा है कि आईएमएसएमई ऑफ इंडिया के आग्रह व सुझावों के मद्देनजर जिस प्रकार एमएसएमई की परिभाषा को परिवर्तित किया गया है वह निश्चित रूप से वर्तमान परिवेश के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण निर्णय है जिससे एमएसएमई सेक्टर लाभान्वित होगा।
उल्लेखनीय है एमएसएमई सेक्टर की निवेश सीमा तथा टर्नओवर सीमा बढ़ने से उद्योग क्षेत्र को वह सभी लाभ मिल पाएंगे जो केंद्र सरकार द्वारा एमएसएमई सेक्टर के लिए तैयार किए जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार नई परिभाषा उपरांत फरीदाबाद व गुड़गांव के 99 प्रतिशत उद्योग एमएसएमई की परिभाषा में आ जाएंगे जिसे आईएमएसएमई ऑफ इंडिया की एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
श्री राजीव चावला ने उद्योग प्रबंधकों से आहवान किया है कि वे आईएमएसएमई से जुड़े, अपना पंजीकरण कराएं ताकि इस संबंध में सरकार की योजना के अनुसार अधिक से अधिक लाभ उठाया जा सके।
एमएसएमई सेक्टर को मिलने वाले कुछ लाभ:
1. सरकार व सरकारी कंपनियों की खरीद में 25% रिजर्वेशन।
2. मशीनरी पर 15 लाख (15%) की सब्सिडी।
3. दो करोड़ रुपए का लोन बिना गारंटी व गिरवी के उपलब्ध।
4. बैंकों से प्राथमिकता के आधार पर प्राथमिक सूची से लोन मिलने की सुविधा।
5. 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक की सब्सिडी व ग्रांट।
6. 45 दिन के भीतर एमएसएमई सेक्टर को भुगतान मिलने का लाभ।