फरीदाबाद में लगातार कोरोना के केस बढ़ रहे है। और सत्ताधारी नेता सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग ले रहे है।
सत्ताधारी नेता ही जब सत्ता के नशे में जनता जनार्दन की दुश्मन बनने लगे तो क्या होगा। बात ग्रीनफ़ील्ड कॉलोनी से सटे दयालनगर की है जहां पर दयालनगर एकता मंच समिति ने जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसमे स्थानीय विधायिका को मुख्यतिथि के रूप में बुलाया गया था। लेकिन जब कार्यक्रम स्थल के पास ही सटे ग्रीनफ़ील्ड कॉलोनी के लोगों ने ऐसे कार्यक्रम की जानकारी मिली तो इसके बारे में समय रहते प्रशासन को इसकी जानकारी दी कि गेर जिम्मेदाराना तरीके से कोरोना काल में जागरण का आयोजन किया जा रहा है। लेकिन प्रशासन ने इस शिकायत की और ध्यान देना मुनासिब नही समझा। शिकायतकर्ता प्रेम शर्मा ने बताया कि उन्हने इसकी जानकारी ट्वीट द्वारा जिला उपायुक्त से लेकर पीएम हॉउस तक को दे दी थी । लेकिन कोई निष्कर्ष नही निकला। प्रेम शर्मा ने बताया कि अगर किसी आम जनता ने इस तरह का सार्वजनिक कार्यक्रम किया होता तो उसकी खेर नही थी। पुलिस भी आती कार्यक्रम बन्द होता और चालान करता सो अलग। अब जब पिछले साल के मुकाबले कोरोना इस बार काफी तेजी से फैल रहा है तो क्या ऐसे कार्यक्रम होने चाहिए थे। चलों आयोजकों ने गलती करी तो क्या स्थानीय विधायिका को समझदारी दिखाते हुए कार्यक्रम आयोजकों से इसे न करने की सलाह देनी चाहिए थी।
लेकिन विधायिका ने जागरण कार्यक्रम में भाग लिया। जबकि कार्यक्रम स्थल पर काफी संख्या में लोगो की भीड़ जमा थी। वो भी बिना मास्क के , वही इस मामले में स्थानीय समाजसेवी डॉ नेहा चौधरी ने कहा कि कोरोना के कारण फरीदाबाद के किसी भी हॉस्पिटल में जगह नही है। रोजाना तीन से 4 मौते हो रही है। हज़ार के करीब रोजाना कोरोना के केस आ रहे है। ऐसे में पब्लिक प्लेस में कोई कार्यक्रम का आयोजन करना कहा कि अक्लमन्दी है। जबकि जिला प्रशासन ने साफ तौर पर सार्वजनिक कार्यक्रम करने पर पाबंदी लगा रखी है। स्थानीय विधायिका अगर वहां चीफगेस्ट बनकर गई थी तो उन्हें पहले ही ऐसे कार्यक्रम को रोकने के लिये आयोजकों को समझाना चाहिए था। न कि जागरण में शामिल होना चाहिए था। नेहा चौधरी ने कहा कि भीड़ भी वहाँ काफी थी उनके पास भीड़ के फोटोग्राफ्स आएं है। डॉ नेहा चौधरी ने कहा कि जिला प्रशासन को ऐसे कार्यक्रमों पर रोक लगनी चाहिए । ऐसे कार्यक्रम चाहे वो आम जनता करे या फिर ऐसे कार्यक्रमों में सत्ताधारी नेता ही क्यो न शामिल हो। कानून सब के लिए बराबर हो। सब के सहयोग से ही इस बीमारी से बचा जा सकता है।