श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम के ब्रह्मोत्सव में केवल अर्चकों ने किया भगवान का अभिषेक।
श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में भगवान श्री लक्ष्मी नारायण के अभिषेक के साथ चौदहवां ब्रह्मोत्सव सपन्न हो गया। इस ब्रह्मोत्सव को रामानुज सम्प्रदाय में बड़ी मान्यता दी जाती है और इसे दिव्यधाम के स्थापना दिवस के रूप में भी मान्यता दी जाती है। कोविड को देखते हुए आज के कार्यक्रम में भक्तोंं को भागीदारी की इजाजत नहीं दी गई थी।
केवल अर्चकों के सहयोग से अधिपति जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने भगवान का सविधि पूजन अर्चन के साथ अभिषेक किया। उन्होंने बताया कि दिव्यधाम का यह चौदहवां ब्रह्मोत्सव है। इस अवसर पर भगवान के अभिषेकों का दिव्य प्रबंधन किया जाता है। बड़े आयोजन होते रहे हैं लेकिन इस बार कोविड नियमावली को देखते हुए अर्चकों के साथ ही कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें भगवान ने जीव मात्र पर कृपा करने और इस महामारी को नष्ट करने की प्रार्थना की गई।
ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मोत्सव मंदिर में एक नई ऊर्जा का संचार करता है। इस अवसर पर अपनी वर्ष भर की गई प्रार्थनाओं एवं प्रबंधन में हुई कमियों की भगवान से क्षमा मांगते हुए पूर्ण कृपा के साथ दिव्यधाम में विराजने की प्रार्थना की जाती है। इस अभिषेक के बाद भगवान की झांकी भी पालकी के रूप में निकाली गई। स्वामी जी ने कहा कि भगवान की कृपा से अगले वर्ष अब तक का सबसे विशाल ब्रह्मोत्सव मनाएंगे लेकिन इसके लिए लोगों को अपना ख्याल रखते हुए अपनों का ख्याल रखना होगा वहीं सरकार के नियमों को भी मानते हुए इस महामारी को हाराना होगा।