वो कहते है न कि मारने वाले से बचाने वाला ज्यादा बड़ा होता है।
CITYMIRRORS-NEWS-हर चिंता से बेखबर, दुनियां से अनजान अस्पताल के बैड पर लेटी हुई इस नन्हीं जान को इंतजार है अपनी मां का। उस मां का जिसने इसे करीब 6 दिन पहले पैदा होते ही कूढ़े के ढेर मेें मरने के लिए फेंक दिया। लेकिन कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला ज्यादा बडा होता है। एक मां जिसे सृष्टि में भगवान का दर्जा मिला हुआ है। एक मां जिसके लिए औलाद सपूत हो या कपूत लेकिन उसके लिए उसकी ममता कभी कम नहीं होती। लेकिन ये कैसी मां जिसने पैदा होते ही अपनी नवजात बच्ची को कितनी निर्ममता के साथ मरने के लिए कूढे के ढेर में पटक दिया था। अपनी जान से ज्यादा प्यारी अपने इस कलेेजे के टुकडे को अपने से अलग कर दिया। एक मां जो अपने बच्चों के लिए पूरी कायनात से लडने का माद्दा रखती हैं वो कैसी मां रही होगी जिसने इस नन्हीं सी जान को बिना किसी कसूर के मरने के लिए फैंक दिया। क्या उस मां की ममता ने उसकी आत्मा को जरा सा भी नहीं झकझोरा कि इस नन्हीं परी का क्या हाल होगा। डॉ मेधा ने बताया कि बी के अस्पताल फरीदाबाद में नवजात बच्ची जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है, अपनी उस बेरहम मां का इंतजार कर रही है जिसने इसे मरने के लिए कूढ़े के ढेर में छोड दिया था। दरअसल ये वहीं बच्ची है जो कि करीब 6 दिनों पूर्व बल्लभगढ की राजीव कालोनी के एक खाली प्लाट में पडे कूढे के ढेर पर पडी हुई मिली थी। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर आस पास मौजूद लोगों ने इसे एक निजी अस्पताल में दाखिल करा दिया था। लेकिन आज वहां से इस बच्ची को सरकारी अस्पताल में छोड दिया गया। नन्हीं बच्ची को आज भी अपनी मां का इंतजार है की शायद उसकी ममता जाग जाए और वो उसे अपना ले। सबसे बडा सवाल ये है कि वो कैसी परिस्थितियां रही होगी जिनमें एक मां ने ना जाने किस डर से अपने इस कलेजे के टुकडे को दर दर की ठोंकरें खाने के लिए छोड दिया होगा