ईज आफ डुईंग बिजनेस नीति के अनुरूप एमएसएमई सैक्टर को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक प्रभावी कदम सिद्ध होगा।जेपी मल्होत्रा
CITYMIRRORS-NEWS-डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय कैबिनेट द्वारा एमएसएमई उद्योगों के लिये प्लांट व मशीनरी के लिये निवेश तथा वार्षिक टर्नओवर की सीमा में बढ़ौतरी का स्वागत करते कहा है कि यह निश्चित रूप से सरकार की ईज आफ डुईंग बिजनेस नीति के अनुरूप एमएसएमई सैक्टर को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक प्रभावी कदम सिद्ध होगा। एमएसएमई सैक्टर के लिये केंद्र सरकार ने ५ करोड़ रूपये की वार्षिक टर्नओवर को माइक्रो ५ से ७५ करोड़ रूपये को स्माल व २५० करोड़ तक की टर्नओवर को मीडियम कैटागिरी में शामिल करने का निर्णय लिया है।डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान जे पी मल्होत्रा के अनुसार सरकार की यह नीति जहां एमएसएमई सैक्टर के लिये काफी प्रभावी सिद्ध होगी वहीं इसके दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। जेपी मल्होत्रा ने एमएसएमई सैक्टर की भारतीय अर्थव्यवस्था में भागीदारी पर विचार व्यक्त करते कहा है कि देश की जीडीपी में ३० फीसदी और भारत की कुल मैन्यूफैक्चरिंग आउटपुट में २८ लाख करोड़ के रूप में ४५ प्रतिशत भागीदारी तथा पिछले पांच वर्षों में ४.५ फीसदी की ग्रोथ उपरांत यह क्षेत्र रोजगार व राजस्व में एक बड़ा योगदान दे रहा है। श्री मल्होत्रा ने कहा कि एमएसएमई सैक्टर वर्तमान में दक्ष श्रमशक्ति और सुदृढ़ वर्क फोस की इस कमी का सामना कर रहा है परंतु इस क्षेत्र ने अपनी चुनौतियों से लड़ते हुए अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी भागीदारी को बनाए रखा। मल्होत्रा ने एमएसएमई मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देते कहा है कि २०१७ में ६० मिलियन ईकाईयां कार्यरत हैं जिनमें से अधिकतर प्रोपराईटरशिप अथवा व्यक्तिगत हैं। यही नहीं इन ईकाईयों में २० मिलियन लोग कार्यरत हैं और बैंकिंग तथा गैर बैंकिंग स्त्रोतों से इस क्षेत्र में काफी निवेश जारी है। श्री मल्होत्रा ने बताया कि जीएसटी प्रक्रिया में आने उपरांत एमएसएमई ईकाईयों के समक्ष कैपीटल की कमी संबंधी समस्या बढ़ी हैं और उन्हें जब बड़े उद्योगों के समान मान लिया जाता है तो प्रोत्साहन मिलने कम हो जाते हैं। मल्होत्रा ने डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन की ओर से बैंकिंग व वित्तीय संस्थानों से भी आग्रह किया है कि वे एमएसएमई सैक्टर के लिये वर्किंग कैपीटल लिमिट बढ़ाएं और इसमें कम से कम २० फीसदी बढ़ौतरी की जाए। आपने कहा है कि इससे जहां एमएसएमई सैक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा वहीं वित्त संबंधी समस्या को स्थाई समाधान हो सकेगा जो कि समय की मांग है।