अरावली को बचाने के लिये सुप्रीम कोर्ट पहुँच ही गये । एल एन पाराशर
Citymirrors.in-मैंने कई बार हरियाणा के मुख्य सचिव फरीदाबाद के जिला अधिकारी सहित वन विभाग और खनन विभाग के अधिकारियों तक सूचना पहुंचाई कि अरावली पर अवैध खनन और अवैध निर्माण जारी है लेकिन ऐसे लोगों को कोई कार्यवाही नहीं की गई जिस कारण मुझे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एल एन पाराशर का जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कंटेप्ट ऑफ कोर्ट फ़ाइल की है। पाराशर ने बताया कि इसमें मुख्य सचिव हरियाणा डीएस ढेसी, अतुल कुमार जिला अधिकारी फरीदाबाद और कई अन्य अधिकारियों को पार्टी बनाया गया है। कंटेप्ट पीटिशन का नंबर 9324/2019 है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि फरीदाबाद के वकील एल एन पाराशर ने उन्हें अरावली पर अवैध निर्माण और अवैध खनन के कई सबूत दिए जिसके बाद लाहा अदालत की जा रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कांत एन्क्लेव मामले पर एक आदेश जारी किया था जिसमे कहा गया था कि अरावली पर कहीं भी अवैध निर्माण नहीं किया जा सकता लेकिन अरावली पर अवैध निर्माण चल रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा है। एडवोकेट शर्मा ने बताया कि हाल में फरीदाबाद के सूरजकुंड थाने में पीएलपीए के उल्लंघन का जो मामला करवाया गया उसमे भी खानापूर्ति की गई थी जिसके बाद संभंधित अधकारियों के नाम भी इस कंटेम्ट में शामिल हैं।
कंटेम्ट के बारे में और अधिक जानकारी देते हुए एल एन पाराशर ने कहा कि अरावली बचाने के लिए मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं बचा था क्यू कि हरियाणा सरकार ने विधानसभा में बिल लाकर अरावली के माफियाओं को बचाना चाहा और माफिया लड्डू बांटने लगे, उन्हें लगा कि अब उन्हें अरावली लूटने का सरकार लाइसेंस मिल जाएगा। पाराशर ने कहा कि उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकारा था लेकिन सरकार तब भी नहीं सुधरी और माफिया अरावली का सीना चीरते रहे। उन्होंने कहा कि मैंने फरीदाबाद के अरावली क्षेत्र का लगातार दो दिन दौरा किया और देखा कि कई जगहों पर निर्माण कार्य चल रहे थे जिसकी तस्वीरें और वीडियो मैंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर सबूत जमा करवाए हैं। पाराशर ने कहा कि पिछले साल सितंबर महीने में सुप्रीम कोर्ट ने कांत एन्क्लेव को वन क्षेत्र घोषित कर दिया था। उस वक्त कोर्ट ने आदेश दिया था कि 18 अगस्त 1992 से वहां बने सभी अवैध निर्माणों को गिरा दिया जाए लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई और अब तक निर्माण हो रहा था इसलिए मुझे सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अरावली को लेकर तबसे ऐक्शन में है जब बीते साल अक्टूबर में राजस्थान के अरावली क्षेत्र में 31 पहाड़ियों के ‘गायब’ हो जाने का मामला आया था और कोर्ट ने इस वक्त आश्चर्य व्यक्त करते हुए राजस्थान सरकार को 48 घंटे के भीतर 115.34 हेक्टेयर क्षेत्र में गैरकानूनी खनन बंद करने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि यद्यपि राजस्थान को अरावली में खनन गतिविधियों से करीब पांच हजार करोड़ रुपये की रॉयल्टी मिलती है लेकिन वह दिल्ली में रहने वाले लाखों लोगों की जिंदगी को ख़तरे में नहीं डाल सकता क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर बढ़ने की एक वजह इन पहाड़ियों का गायब होना भी हो सकता है। सुनवाई के दौरान पीठ ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट का भी ज़िक्र किया जिसमें कहा गया है कि भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा लिए गए 128 नमूनों में से 31 पहाड़ियां गायब हो गई हैं।
अब पाराशर फरीदाबाद में अरावली क्षेत्र से गायब पहाड़ों की सूची तैयार कर रहे है। पाराशर का दावा है कि फरीदाबाद के एक दो नहीं दर्जनों पहाड़ों को खनन माफियाओं ने गायब किया है और उन्होंने कहा कि जल्द फरीदाबाद से गायब पहाड़ों की सूची भी सुप्रीम कोर्ट को दूंगा।