Citymirrors.in-(एजेंसी)हरियाणा सेकेंडरी शिक्षा विभाग महानिदेशालय ने राज्य में चल रहे गैर मान्यता और अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए ऐसे सभी अनधिकृत निजी स्कूलों को बंद कराने के सभी जिला शिक्षा और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों आदेश जारी किए हैं। निदेशालय ने इन अधिकारियों से राज्य में ऐसे सभी अनाधिकृत निजी स्कूलों को बंद कराकर इस संबंध में रिपोर्ट भी तलब की है। वहीं जिन स्कूलों को अब तक शिक्षा अधिकारी बंद कराकर इसकी रिपोर्ट निदेशालय को भेज चुके हैं उन स्कूलों की वस्तुस्थिति के संबंध में भी निदेशालय ने अधिकारियों से जवाब तलब किया है। अधिकारियों से यह भी पूछा गया है कि जिन स्कूलों को अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में बंद दर्शाया हुआ है वे क्या वास्तव में बंद हैं और अगर बंद कराने के बावजूद ये स्कूल चल रहे हैं तो इनके खिलाफ संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज कराई जाए। स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेशाध्यक्ष बृजपाल परमार और अन्यों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर प्रदेश में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों और अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को चुनौती दी है। इसी मामले में हाईकोर्ट के आदेशों के तहत ही शिक्षा विभाग ने 15 और 19 अप्रैल के बाद 29 मई को जारी किए गए आदेशों का भी हवाला दिया गया है। इन दोनों ही आदेशों में शिक्षा अधिकारियों को अपने अपने जिले में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को बंद कराने के आदेश दिए जा चुके हैं। जिम्मेदार अधिकारियों पर होगी कार्रवाई निदेशालय के आदेशों के अनुसार, जिन शिक्षा अधिकारियों ने उसके और हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूल बंद नहीं कराए हैं उन्हें इसके लिए जिम्मेदार माना जाएगा। परमार का कहना है कि निदेशालय से तीन बार अनाधिकृत स्कूलों को बंद कराने के आदेश के बाद भी निजी स्कूलों पर मेहरबान ऐसे शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ संगठन आपराधिक मामले दर्ज कराएगा। उनका कहना है कि ये अधिकारी न केवल शिक्षा निदेशालय के आदेशों का उल्लंघन कर रहे हैं बल्कि वे हाईकोर्ट के आदेशों की भी अवमानना कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों ने निदेशालय और कोर्ट के समक्ष झूठी रिपोर्ट पेश कर इन्हें गुमराह किया