प्रेस वार्ता की बजाय उन्हें फुल कोर्ट की बेंच में अपनी बात 31 जजों के सामने रखनी चाइये थी–सत्येंदर भड़ाना
अधिवक्ता सुप्रीमकोर्ट ऑफ इंडिया,एक्स सीनियर वाईस प्रेजिडेंट जिला बार एसोसिएशन फरीदाबाद,सीओ-कोप्टेड सदस्य पंजाब और हरियाणा बार एसोसिएशन चंडीगढ़ सत्येंदर भड़ाना ने कहा कि भारत का सविंधान सर्वोपरि है.जो नागरिकों को मौलिक अधिकार देता है.सविधान से कानून बनता है देश में न्यायपालिका का स्थान सर्वोच्च है. हिंदुस्तान की न्यायपालिका पर अवाम का पूरा विश्वाश है.जिला कोर्ट से लेकर,हाईकोर्ट ,सुप्रीमकोर्ट तक लोगो का विश्वास कायम रहा है.परन्तु 12.01.2018 को हिंदुस्तान की जनता को आदरणीय सुप्रीम कोर्ट जो की इंडिपेंडेंट संस्था है के 4 सीनियर जजो श्री ज.चेलमश्वेर,श्री रंजन गोगोई,श्री मदन .बी. लोकुर,श्री था कुरियन जोसेफ ने प्रेस वार्ता की और आदरणीय प्रधान न्यायधीश श्री दीपक मिश्रा जी पर सही तरीके से काम न करने का आरोप लगाय और कहा की हमने पत्र लिखा था परन्तु कोई फायदा नहीं हुआ इसलिए हमने यह प्रेस वार्ता की। सत्येंदर भड़ाना ने कहा कि मेरे विचार से यह लोक्ततंत्र की नीव हिलाने जैसा है.आज तक न्यायपालिका पर हिंदुस्तान की जनता का विश्वास रहा है और जब सरकार, पुलिस से न्याय नहीं मिलता तो उसे न्यायपालिका न्याय देती है.परन्तु इस मतभेद ने शंकंट पैदा कर दी है जोकि गलत शुरूआत है. मतभेद हमेशा से होते आय है परन्तु सार्वजानिक प्रेस वार्ता में अपने विचार मतभेद प्रकट करना न्यायपालिका को संकट में खड़ा करना है.अगर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश ऐसे करेंगे तो निचले अदालत के जज तो आउट ऑफ कंट्रोल हो जाएगें जोकि लोकतंत्र व न्यायपालिका के लिए ठीक नहीं है.पब्लिक प्रेस वार्ता की बजाय उन्हें फुल कोर्ट की बेंच में अपनी बात 31 जजों के सामने रखनी चाइये थी,इस मुद्दे को इन हाउस सेटल करना चाइये या भारत के राष्ट्रपति को लिखना चाहिए जो की अप्पोइंटिंग अथॉरिटी है. सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकीलों को मामला साल्व करने के लिए शामिल करना चाइये था,सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के आदरणीय सदस्यों को शामिल करना चाइये था.भारत के मुख्य न्यायधीश को रोस्टर बनाने का अधिकार है.हेड होने के नाते वो केस को अपने पास रख सकते है.या किसी को रेफर कर सकते है.कोनसीटूशन बेंच,फुल कोर्ट, बेंच बना सकते है.यह उनका अधिकार है.परन्तु अपने मतभेद इस तरह से पब्लिक डोमेन और प्रेस कॉन्फ्रेंस करके राजनैतिक पार्टियों को शामिल नहीं करना चाइये राजनैतिक पार्टियां इससे फायदा उठाएगी जोकि लोकतंत्रत व न्याय पालिका के हित में नहीं है। सत्येंदर भड़ाना ने कहा कि 3000 हजार करोड़ केस आज भी पेंडिंग है उन पर ध्यान देना चाइये.
न्यायपालिका इस मुद्दे को आपस में सुलझा कर स्तम्भ के तौर पर अपनी पहचान पहले जैसे बनानी चाहिए।
न्यायपालिका कल भी सर्वोच्च थी,आज भी है, और कल भी सर्वोच्च रहेगी