विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल, सेक्टर-2 में जन्माष्टमी केे पावन पर्व को श्रद्धापूर्वक धूमधाम से मनाया गया।
CITYMIRRORS-NEWS-फरीदाबाद। विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल, सेक्टर-2 में जन्माष्टमी केे पावन पर्व को श्रद्धापूर्वक धूमधाम से मनाया गया। स्कूल में सभी नन्हे-मुन्ने बच्चों ने बड़े उत्साह के साथ इस पर्व में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। सुबह से ही बच्चे राधा, कृष्ण, गोपियां, सुदामा, बलराम की वेशभूषा में बहुत ही मनमोहक व सजीव छवि को उजागर लिए हुए थे। उनकी नन्हीं सी मुस्कुराहट से ऐसे प्रतीत हो रहा था मानों सच में बाल कृष्ण का रूप धारण करके विद्यासागर इंटरनेशनल स्कूल के प्रागण में अवतरित हो गए हों। कार्यक्रम के आरंभ में ग्रेड 2 के बच्चों ने ‘सो जा कान्हा जऱा’ गाने पर नृत्य किया। इसके पश्चात् नर्सरी कक्षा के बच्चों ने ‘राधिक गोरी’ के गाने पर अपने नृत्य का प्रदर्शन किया तथा केजी कक्षा के बच्चों ने ‘मैया यशोदा’ गाने पर अपने हाव-भाव के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण की बचपन की लीलाओं को दर्शाया। प्रेप क्लास द्वारा रोल प्ले के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की झलकियां प्रस्तुत की गईं। ग्रेड 1 के बच्चों ने जहां ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी..’ गाने से सब की प्रशंसा हासिल की वहीं ग्रेड 2 एवं ग्रेड 3 के छात्रों ने ‘ये देश है वीर जवानों का…’ गीत की प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर मु य अतिथि के रूप में रोटरी क्लब ऑफ फरीदाबाद इंडस्ट्रियल टॉउन के अध्यक्ष नवीन गुप्ता एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में क्लब के सेकेट्ररी डॉ. सुमित वर्मा एवं कोषाध्यक्ष श्री मोहिन्द्र बब्बर मौजूद थे जिनका स्वागत बुक्के देकर स्कूल के डायरेक्टर दीप· यादव ने किया ।इस अवसर पर बच्चों को प्रेरित करते हुए श्री गुप्ता ने ·हा कि भगवान श्रीकृष्ण के बारे में हम बचपन से सुनते आ रहे हैं और उनके द्वारा द्वापर युग में की गई लीलाओं को सुन·र बड़े हुए हैं। हम ये पौराणिक कहानियां कभी भूल नहीं सकते, क्योंकि यह कहानियां ही हैं जो श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेकर हमें उन जैसे महान कार्य करने को प्रेरित ·रती हैं। ये बातें हीं हमें जीने की सीख देती हैं। जीत और हार जिंदगी में होती रहती हैं। श्रीकृष्ण की जिंदगी में ये दोनों ही रहीं। लेकिन उनकी मुस्कान उनके चेहरे से कभी नहीं गई। उन्होंने अपनी इसी दिव्य मुस्कान के साथ अपने शरीर को छोड़ा था। उनकी यह बात जिंदगी में वैसी भी स्थिति आए हमेशा हंसी को नहीं खोना चाहिए। ऐसी ही अमिट सीख देती है।
बच्चों को प्रेरित करते हुए डॉ. सुमित वर्मा ने ·हा कि श्रीकृष्ण का जन्म बहुत ही असामान्य परिस्थितियों में हुआ। उनकी मां देवकी और पिता वासुदेव को मामा हंस ने कारागार में बंद करके रखा था। श्रीकृष्ण के पहले उनके 6 भाई-बहनों को कंस ने जन्म लेकर ही मौत की नींद सुला दिया। तब वासुदेव ने श्रीकृष्ण जी को ब्रज में मां यशोदा के यहां छोड़ आए। इससे हमें सीख मिलती है कि हमें पिछली परिस्थितियों को छोड़ कर आगे आने वाले हर क्षण को ऐसा बनाना चाहिए ताकि सभी उससे कुछ प्रेरणा ले सके। इसी क्रम में स्कूल में डॉयरेक्टर दीपक यादव ने कहा कि भगवान विष्णु के मानव अवतार श्रीकृष्ण दिव्यता से परिपूर्ण थे। उन्होंने पृथ्वी पर जितनी भी लीलाएं की, उनसे किसी न किसी विषम परिस्थिति से बाहर आने की सीख मिलती है। उनका जीवन ललित कलाओं जैसे कविता, संगीत, चित्रकला, मूर्तिकला का खजाना था। इसलिए आज भी जब हम श्रीकृष्ण की लीलाओं को ग़ौर से सुनते हैं तो हमे खुशी मिलती है। जो हमें आगे बेहतर करने की प्रेरणा देती है।