महापौर मनमोहन गर्ग ने ईकोग्रीन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए निगमायुक्त अनीता यादव को लिखा पत्र ।
Citymirrors.in-ईकोग्रीन की ओर से घर-घर से कूड़ा उठाने के मामले में संतोषजनक कार्य नहीं किया जा रहा है। नगर निगम के 40 वार्डों में कूड़ा उठाने को कहीं भी पर्याप्त वाहन नहीं हैं। खत्तों से नियमित रूप से कूड़ा नहीं उठाया जा रहा है। विभिन्न क्षेत्रों में कूड़ा जमा नजर आ रहा है। घरों से कूड़ा नहीं उठाने पर जुर्माने का भी प्रावधान है, लेकिन आज तक जुर्माना नहीं लगाया गया है। नगर निगम के उप महापौर मनमोहन गर्ग ने ईकोग्रीन की कार्यप्रणाली पर ऐसे ही सवाल उठाते हुए निगमायुक्त अनीता यादव को पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से उप महापौर ने नाराजगी जताई कि कूड़ा उठाने वाले वाहन खुले में चल रहे हैं, जबकि नियमानुसार वाहन ढके होने चाहिए, इससे वाहन में एकत्र कूड़ा उड़ कर इधर-उधर फैलेगा नहीं। मगर ईकोग्रीन नियमों की अनदेखी कर रही है।बता दें कि दिसंबर, 2017 में ईकोग्रीन ने नगर निगम के 40 वार्डों में कूड़ा उठाने का कार्य शुरू किया गया था। शुरुआती दौर से ही कई पार्षदों ने ईकोग्रीन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थ। इसके चलते नगर निगम ने ईकोग्रीन का भुगतान भी रोक दिया था। अब इस वर्ष फरवरी में नगर निगम ने ईकोग्रीन को करीब आठ करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। इससे भी मनमोहन गर्ग खफा हैं। मनमोहन गर्ग का कहना है कि अनुबंध के अनुसार, ईकोग्रीन को घर-घर से गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग करके उठाना चाहिए, लेकिन कहीं भी अभी तक ऐसा नहीं है। ईकोग्रीन नियम और शर्तों की अवहेलना कर रही है। नगर निगम सदन की बैठक में भी भुगतान बारे फैसला लिया गया था कि गठित कमेटी ही इस बारे निर्णय लेगी, लेकिन कमेटी से विचार विमर्श किए बिना ही ईकोग्रीन का भुगतान कर दिया गया।