सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मियों की मंगलवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के चलते जिले में भी बैंकों का कामकाज ठप रहा।
CITYMIRRORS-NEWS-सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कर्मियों की मंगलवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के चलते जिले में भी बैंकों का कामकाज ठप रहा। उपभोक्ता बैंक के गेट तक आए, शटर बंद देखे, कुछ देर इंतजार किया और फिर जब उन्हें पता चला कि कर्मचारियों की हड़ताल है, लोगों को निराश होकर वापस जाना पड़ा। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न बैंकों का एकीकरण का विरोध और अपनी कुछ अन्य मांगों के समर्थन में हड़ताल की । नीलम-बाटा रोड पर स्थित सिंडीकेट बैंक की शाखा के बाहर एकत्रित हुए।फेडरेशन की जिला इकाई के प्रधान ईश्वर सिंह के नेतृत्व में कर्मचारियों ने आवाज को बुलंद किया। यूनियन के चेयरमैन भोले सिंह ने बताया कि देशभर के बैंक कर्मियों के विभिन्न संगठनों की मांग है कि संसदीय समिति ने गैर निश्पादित आस्तियों को बट्टा खाते में नहीं डालने और वसूली की जो सिफारिशें की हैं, उसको लागू किया जाए, जानबूझकर कर न चुकाने वालों पर आपराधिक मुकदमा चले, प्रस्तावित एफआरडीआइ बिल को वापस लिया जाए, बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त किया जाए। इसके अलावा कर्मचारियों से संबंधित जो भी मामले हैं, उनका तत्काल समाधान करना प्रमुख मांगें हैं। बैंक कर्मियों ने दोपहर बाद दो बजे तक धरना दिया।इधर, जिन उपभोक्ताओं को बैंकों की हड़ताल का पता नहीं था, वो हाथों में चेक, पासबुक आदि लिए बैंक परिसर तक तो पहुंचे, पर जब वहां हड़ताल का नोटिस पढ़ कर बैंक बंद होने की जानकारी मिली, तो निराश मुद्रा में वापस लौट गए।एक बैंक अधिकारी ने हड़ताल के असर की बाबत कहा कि अब बड़ी औद्योगिक व व्यापारिक इकाइयां और अन्य कंपनियां अपना बड़ा लेन-देन आरटीजीएस या अन्य ऑनलाइन प्रक्रियाओं के जरिए करती हैं। तीन-चार साल पहले तक लेनदेन के लिए ड्राफ्ट बनते थे, क्लीयरिंग में चेक लगते थे। अब तो छिटपुट चेक ही क्लीय¨रग में लगते हैं। इसके अलावा विभिन्न कंपनियों, शिक्षण संस्थानों में भी जो फीस आदि जमा करानी होती है, वो ऑनलाइन हो जाया करती है। इसलिए आंशिक असर ही पड़ता है।