बल्लभगढ़ नहीं,अब बलरामगढ़ कहों।
CITYMIRRORS-NEWS-सदियों बाद सरकार ने ऐतिहासिक शहर बल्लभगढ़ का नाम बदलकर बलरामगढ़ रखने का फैसला लिया है। सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेज दिया है। सरकार के फैसले की कई लोगों ने सराहना की है तो कुछ ने इसे अनुचित करार दिया है। बल्लभगढ़ 1606 ई. में गांव सिही निवासी चरणदास के पुत्र बल्लू उर्फ बलराम ने बसाया था। तब बल्लभगढ़ का नाम बलरामगढ़ था। बाद में बलरामगढ़ से नाम बदल कर बल्लभगढ़ कर दिया गया। पुराने लोग बताते हैं राजा बल्लू ने बल्लभगढ़ का नाम भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम के नाम बलरामगढ़ रखा । राजा नाहर ¨सह सोसायटी ने इसकों लेकर खुशी जताई है बल्लभगढ़ का नाम बदल कर बलरामगढ़ किए जाने के प्रस्ताव पर शनिवार को शहीद राजा नाहर ¨सह सोसाइटी की ओर मिठाई बांटकर जश्न खुशी मनाई गई। शहीद राजा नाहर ¨सह सोसाइटी के महासचिव राजकुमार तेवतिया ने कहा कि बल्लभगढ़ शहर का नाम पूर्व में बलरामगढ़ ही था, जिसे बदलकर बल्लभगढ़ किया गया था। बल्लभगढ़ शहर सन 1606 में राजा बलराम ¨सह उर्फ बल्लू़ के नाम पर बसाया था। राजा बलराम ¨सह रियायत के अंतिम शासक राजा नाहर ¨सह की सातवीं पीढ़ी के पूर्वज थे। बल्लभगढ़ शहर का असली नाम बलरामगढ़ ही था। जिसके लिए शहीद राजा नाहर ¨सह सोसाइटी की ओर से 12 जून 2015 को प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजकर बल्लभगढ़ शहर का नाम बदलकर बलरामगढ़ किए जाने की मांग की थी। क्षेत्र के विधायक मूलचंद शर्मा के अनुसार प्रदेश सरकार ने शहर का नाम बदलने पर सहमति जता दी है। प्रदेश सरकार के इस कदम पर शनिवार को सेक्टर 3 स्थित राजा नाहर ¨सह पैलेस में मिठाई बांटकर खुशी मनाई गई। राजा नाहर ¨सह के वंशज राजकुमार तेवतिया ने अपने समर्थकों के बीच लडडू बांटकर जश्न मनाते हुए इसे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि बताया। इस अवसर पर पूर्व विधायक आनंद कौशिक, राजा नाहर ¨सह सोसाइटी के प्रधान सोहनलाल सैनी, कार्यकारी प्रधान प्रदीप जेलदार, विकास चौधरी, राकेश भड़ाना, सुनील तेवतिया, जय¨सह ठाकुर, अनिल तेवतिया, शंकर, महेंद्र सांगवान, हुकम ¨सह, रवि कपासिया, रणवीर डुल, मास्टर भीम ¨सह, कुलवीर तेवतिया, राजवीर, देवी ¨सह सहित अन्य लोग मौजूद रहे