पलवली गोलीकांड के बाद हालात को संभालने में कामयाब हुए उद्योग मंत्री विपुल गोयल
Citymirrors-news-पलवली गाँव में 5 लोगों की हत्या के बाद बादशाह खान सरकारी अस्पताल में जिस तरह हालात बिगड़ते जा रहे थे और पीड़ित पक्ष मृतकों का पोस्टमार्टम करवाने से इंकार कर रहा था ,उससे फरीदाबाद के तमाम दिग्गज बीजेपी नेताओं के पसीने छूट रहे थे क्योंकि पीड़ित पक्ष का आरोप है कि आरोपी सांसद कृष्णपाल गुर्जर का नज़दीकी था और ज़मीन विवाद में धोखाधड़ी के एक मामले में कृष्णपाल गुर्जर ने उसे बचाते हुए समझौता करवा दिया था। केंद्रीय मंत्री के बेटे को भी लोगों के ग़ुस्से का शिकार होना पड़ा और मृतकों के रिश्तेदारों ने उन्हें भगा दिया। कृष्णपाल गुर्जर और सीमा त्रिखा भी लोगों को समझाने में नाकाम रहे और सांसद को भी पीड़ित पक्ष ने खूब खरी खोटी सुनाई। ऐसे में बादशाह खान अस्पताल बिगड़ते हालात और बढते हंगामें ने फरीदाबाद से लेकर चंडीगढ तक बीजेपी सरकार घिरती दिखाई देने लगी। विपक्ष इस मामले में राजनीति करता इससे पहले ही उद्योग मंत्री विपुल गोयल ने हालात को बेक़ाबू होने से बचा लिया। विपुल गोयल बादशाह खान अस्पताल पहुँचे और पीड़ित पक्ष को भरोसा दिया कि आरोपी किसी के भी नज़दीकी हों कोई भी बच नहीं पाएगा। इस दौरान तिगांव के कांग्रेस विधायक ललित नागर भी बीके अस्पताल पहुँचे लेकिन विपुल गोयल के वहाँ मौजूद होने के कारण वो भी सरकार को नहीं घेर पाए । ललित नागर की मौजूदगी में ही विपुल गोयल ने पुलिस अधिकारियों को सभी आरोपियों की जल्द गिरफ़्तारी का आदेश दिया और पीड़ित पक्ष मृतकों का पोस्टमार्टम करवाने को तैयार हो गया। पीड़ित पक्ष के राज़ी होने के बाद कांग्रेस नेता को भी ज्यादा राजनीति का अवसर नहीं मिला और बीके अस्पताल में हंगामा शांत हो गया। लेकिन इस मामले ने पलवली गाँव में स्थानीय सांसद के प्रति लोगों का गुस्सा बढ़ा दिया है ,यही वजह है कि वो रात को ही अस्पताल पहुँचे थे लेकिन इस मामले से जिस तरह वो निपटने में नाकाम रहे उसने विरोधियों को उन्हें घेरने का मौका दे दिया है।विपुल गोयल की तेजतर्रार राजनीति ने उन्हें ज्यादा फजीहत से तो बचा लिया लेकिन नेताजी को अब वोट बैंक की चिंता जरूर सताने लगी है।