मीडिया की आवाज को दबाने के लिए चंद राजनेताओं के दबाव में किया गया पत्रकारों पर झूठा मुकदमा दर्ज – पत्रकार संगठनों ने की आलोचना, मुख्यमंत्री से मिलेंगे पत्रकार
CITYMIRR0RS-NEWS- सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा की एक महिला पदाधिकारी द्वारा पत्रकारों पर दर्ज करवाए गए झूठे मामले को लेकर सिटी प्रेस क्लब एवं प्रेस क्लब फरीदाबाद की एक आपातकालीन बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता क्लब के प्रधान बिजेंद्र बंसल एवं प्रेस क्लब फरीदाबाद के अध्यक्ष अनिल जैन ने की जिसमें जिले के लगभग सभी संगठनों के पत्रकारों ने हिस्सा लिया।
बैठक में कहा गया कि जिस तरह से प्रदेश के सत्तारूढ़ दल के चंद राजनेताओं के साथ मिलकर पत्रकारों पर रातोंरात झूठा मुकदमा दर्ज करवाया है, वह वास्तव में निंदनीय है। पत्रकारों द्वारा इसका कड़ा विरोध जताया जा रहा है। इनका कहना था कि जहां लोगों की शिकायत पर पुलिस महीनों तक मुकदमा तो दूर कार्यवाही तक नहीं करती वहीं इस मामले में पुलिस द्वारा रातोंरात मुकदमा दर्ज कर दिया जो कि पुलिस पर दिये गए दबाव को दर्शाता है।
सिटी प्रेस क्लब एवं प्रेस क्लब फरीदाबाद ने इस मामले में सामूहिक बैठक आयोजित की। बैठक में निर्णय लिया गया कि सरकार लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार जगत यानि मीडिया की आवाज को झूठे मुकदमे दर्ज करवाकर दबाने का प्रयास कर रही है, जिसकी सभी पत्रकार संगठन कड़ी आलोचना करते हैं। पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज करने के विरोध में दोनों प्रेस क्लब ने सामूहिक निर्णय लिया है कि वह मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर से मिलकर मुकदमे को रद्द करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौपेंगे। पत्रकारों ने कहा कि भाजपा सरकार को अपनी नीति में बदलाव लाना होगा और सहयोग की नीति अपनानी होगी अन्यथा कभी भी सरकार एवं मीडिया में टकराव की नौबत आ सकती है। पत्रकारों ने कहा कि यदि किसी को खबरों पर कोई भी आपत्ति थी तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन इस मामले में जिस तरह से पत्रकारों को दबाने के लिए सरकार एवं सत्ता का दुरुपयोग किया गया है उसकी वह सभी कड़ी निंदा करते हैं।
यहां बता दें कि पिछले दिनों कुछ चंद राजनेताओं की शह पर कुछ पत्रकारों के खिलाफ गलत तरीके से मुकदमे दर्ज करवाए गए हैं। इसी मामले में शनिवार को फरीदाबाद के सभी पत्रकारों ने हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला से मुलाकात की। पत्रकारों द्वारा श्री बराला के समक्ष उनके साथी पत्रकारों पर मुकदमें दर्ज करवाने का कड़ा विरोध जताया गया। पत्रकारों के विरोध को देखते हुए इस मामले में एक कमेटी गठित की गई है जोकि दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद उपरोक्त विवाद का समाधान निकालेगी। अब देखना यह है कि सुशासन का राज अलापने वाली भाजपा सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है।