पर्यावरण को बचाने के लिये आगे आएं एस एस बांगा लोगों के लिये बन रहे है। प्रेरणा के स्रोत्र
वर्ल्ड अर्थ डे पर विशेष। CITYMIRR0RS-NEWS- प्रकृति का सम्मान ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा होगी, कहा भी जाता है की प्रकृति भी ईश्वर है। अगर आप सच्चे ईश्वर भक्त हैं तो भगवान की बनाई इस धरती कि हवा, पानी जंगल और जमीन को प्रदूषित होने से बचाएं । वर्तमान संदर्भों में इससे बढ़कर कोई पूजा नहीं है। जरूरत हमें स्वयं सुधरने की है, साथ ही हमें अपनी आदतों में पर्यावरण की ख़ातिर बदलाव लाना होगा। याद रहे हम प्रकृति से हैं प्रकृति हम से नहीं। यह कहना है पर्यावरण के प्रति दीवानगी रखने वाले सेक्टर-15 निवासी एसएस बांगा ,जिन्होंने जंगल में तबदील हो चुके करीब 500 मीटर की जमीन को कड़ी मेहनत से सोना बना दिया। यहां की हरियाली से भरपूर ग्रीनबेल्ट की खूबसूरती देखने लायक है। यहीं कारण है कि लोग यहां से गुजरते है तो तारीफ किए बगैर रह नहीं पाते। उद्योग नगरी की पहचान रखने वाला शहर प्रदूषित शहरों के टॉप 10 लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा चुका है। ऐसे में शहरवासियों के लिए प्रेरणा का
स्त्रोत बन रहे एसएस बांगा लोगों के लिए एक मिसाल बन रहे है। इनके इस बगिया को देखने के लिए कई सेक्टर्स के लोग यहां आते रहते है। और टिप्स भी लेतेे है। इनकी देखा देखी आस पड़ोस के लोगों ने भी उजड़े पड़े ग्रीन बेल्ट को हरियाली में तबदील करने का प्रयास शुरु कर दिया है। पेशे से उद्योगपति और समाजसेवी एसएस बांगा कहते है कि सवाल यह है कि इन पर्यावरणीय समस्याओं क्या कोई हल है? क्या हमारी सोच में बदलाव की जरूरत है दरसअल प्रकृति को लेकर हमारी सोच में ही खोट है। तमाम प्राकृतिक संसाधनों को हम धन के स्रोत के रूप में देखते हैं और अपने स्वार्थ के खातिर उसका अंधाधुंध दोहन करते हैं। हम यह नहीं सोचते हैं कि हमारे
बच्चों को स्वच्छ व शांत पर्यावरण मिलेगा या नहीं। पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बांगा फैमिली ने अपनी कंपनी के 3 हजार कर्मचारियों के साथ मिलकर 7 लाख पौधे लगाने का प्रण लिया । वहीं अब तक करीब 1 लाख तक पौधे लगा चुके है। इस मुहिम को आगे ले जाने के लिए समय समय पर परिवार,रिश्तेदारों,दोस्तों ,और कंपनी के कर्मचारियों के जन्मदिन पर पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते रहते है। बांगा बताते है कि उनके माता पिता के अंदर पर्यावरण और हरियाली के प्रति प्यार और रुझान वह बचपन से देखते आ रहे है। उनके अंदर भी यह आदत दिनचर्या में शुमार हो चुकी है। अब उनके बच्चे भी
इस आदत को अपनाते हुए पौधे लगाओं और पर्यावरण बचाओं की कड़ी को आगे ले जा रहे है। एसएस बांगा बताते है कि उनके घर के सामने बने ग्रीनबेल्ट में पीपल ,नीम , गुलाब, अंगूर ,अमरुद ,बेल , नींबू ,अनार ,मौसमी , आवला बरगद तुलसी जामुन और केले का पेड़ लगाया गया है ग्रीनबेल्ट में फलहार पौधे लगे होने के कारण कई तरह के पक्षी यहां आते रहते है। उनकी चहचहाहट की
आवाज मन को भा जाती है। एसएस बांगा कहते है कि वह रोजाना कम से कम एक घंटा जरुर इस ग्रीनबेल्ट को समय देते है। कई बार जब उन्हें टाइम नहीं मिलता तो परिवार के सदस्य इस बगिया को सीचने में लग जाते है। आज सूखती धरती, घटती आक्सीजन के साथ घटतेधरती के प्रमुख तत्व, बढ़ता प्रदूषण,बढ़ती व्याधियां, पिघलते ग्लेशियरों के कारण बिन बुलाए मेहमान की तरह प्रकट होती प्राकृतिक आपदाएं मानव सभ्यता को कब विलुप्त कर देंगी, पता नहीं चल पाएगा। आवश्यकता है वैश्विक स्तर पर पूर्ण निष्ठा एवं समर्पण के साथ धरती को बचाने की ।