सिक्कों के बेताज बादशाह ।सतीश सिंघल जी
CITYMIRRORS-NEWS- लगभग बारह साल पहले श्री सिंघल ने इस संग्रह की शुरूआत की थी. श्री सिंघल बताते हैं की उनके इस संग्रह की शुरुआत यूँ ही अचानक हुई पहले से ही परिवार के पास कुछ पुराने सिक्के थे एक दिन कवि दिनेश रघुवंशी घर आये और बातों बातों में उन्होंने एक पैसे का सिक्का निकाल कर दिखाया तो मैंने कहा की मेरे पास इस से भी छोटा सिक्का है और मैंने उन्हें एक पाई का सिक्का दिखाया जो एक पैसे से भी छोटी मुद्रा है. तब दिनेश रघुवंशी ने सलाह दी की आप सिक्कों का संग्रह करो उसके बाद मैंने सिक्के और नोट जुटाने शुरू किये.
ओल्ड फरीदाबाद के सतीश सिंघल के पास अनोखे नम्बर वाले कागज के रुपये और सिक्को का अद्भुत संग्रह है। सतीश सिंघल जी को इस अद्भुत संग्रह के लिऐ समय-समय पर कई अवार्डो से विभिन्नि संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया हैं ।पहली बार 04/02/2006 को दैनिक जागरण ने इनका आर्टिकल “सतीश के पास नोटो व सिक्को का अद्भुत संग्रह” के नाम से प्रकाशित किया। यह तो एक शुरुआत मात्र थीं। इसके बाद तो इनके संग्रह की चर्चा फरीदाबाद में होने लगी और इनके संग्रह के विषय में सभी नेशनल न्यूज पेपर अमर उजाला, हिन्दी हिन्दुस्तान, पंजाब केसरी, दैनिक भास्कर, नवभारत टाइम्स, ईंगलिश न्यूज पेपर दी हिन्दुस्थान (एन सी आर के सभी सातों अखबारों में ) दी टाईम्स आफ इण्डिया मे छप चुका है।समय-समय पर जी न्यूज, जैन टी वी, टोटल टी वी, और एन डी टी वी जैसे चैनलो पर भी इनके संग्रह प्रोग्राम दिखाया जा चुका है और सहारा समय टी वी चैनल पर तो इनका कार्यक्रम लाइव दिखाया जा चुका है।वर्तमान में 1808 से 2017 तक के हजारों देश विदेश के सिक्के सिंघल जी के मयुजियम की शोभा बढ़ा रहें हैं। सतीश जी के संग्रहालय में यू के, यू एस ए, डेनमार्क, आस्ट्रेलिया, मलेशिया, पाकिस्तान, बंगला देश, श्री लंका, इटली जैसे विदेशो के सिक्को भी है। पुरानी भारतीय मुद्रा जैसे कि 12 आना (पाई), आधा आना (धेला), एक आना, दो आना, चार आना, आठ आना, 1/2 पैसा, एक पैसा (छेद वाला सिक्का), दौ पैसा . . . . . . से 100 रुपये का सिक्का भी म्यूजियम की शोभा बढ़ा रहें है।भारत सरकार द्वारा विशेष दिवस पर स्मारक सिक्के जारी किऐ जाते हैं। इन पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राष्ट्रपिता, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय फूल तथा विशेष आयोजन के प्रतीक चिन्ह वाले सिक्के भी शामिल है।
सिंघल जी की उपलब्धियाँ
- 12/11/2017 को सीरी फोर्ट आडोटोरियम दिल्ली मे वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर स्टेज 2017 नामक कार्यक्रम मे टॉप 100 नैशनल रिकार्ड होल्डर के अवार्ड से सतीश सिंघल, इनकी धर्म पत्नी श्री मति वन्दना गुप्ता और पुत्र आयुष सिंघल को सम्मानित किया गया जो कि एक बड़े गर्व का विषय है।
- मार्च 2014, मे पहली बार लिम्का बुक आफ रिकार्ड मे 20 पैसे के 19 प्रकार के सिक्के और 2 रुपये के 43 तरह के सिक्को को मान्यता दी गई। परन्तु अब 2 रुपये के सिक्के 48 प्रकार के हैं।
- 6 मार्च, 2014 को इण्डिया बुक रिकार्ड में 5 रुपये के 51 सिक्के और 2 रुपये के 44 तरह के संग्रह को सम्मिलित किया गया। अब 5 रुपये के 68 और 2 रुपये के 48 सिक्के हैं । 4 जून, 2014 को 20 पैसे के 19 प्रकार के सिक्कों को रिकार्ड में दर्ज किया गया।
- 50 पैसे के सिक्को को 14/05/2015 में इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड और 30/07/2015 लिम्का बुक रिकार्ड में 60 प्रकार के सिक्को के रिकार्ड को वन्दना गुप्ता ने अपने नाम किया है। अब यह रिकार्ड 61 सिक्को का है।
- 25 पैसे के सिक्को को 14/05/2015 में इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड और 16/09/2015 लिम्का बुक रिकार्ड में 50 प्रकार के सिक्को अपने रिकार्ड में आयुष सिंघल के नाम से दर्ज कराया है।
- 14/05/2015 को 10 रुपये के 16 वैरायटी के सिक्के इण्डिया बुक आफ रिकार्ड मे 14/05/2015 को दर्ज किया और इसी शृंखला मे लिम्का बुक आफ रिकार्ड 2101 सिक्के 16 प्रकार के दर्ज किए गए जो कि अपने आप में एक रिकार्ड है।
- सन 1862 मे भारत-ब्रिटिश सरकार ने सिक्को की पहली सीरीज़ शुरु की गई और इस सीरीज़ का एक सिक्का दो आना चांदी का बना हुआ है जोकि सिंघल जी के पास है।
छ: प्रकार के रिकार्ड (1 पैसा 20 प्रकार का, 2 पैंसे 13 प्रकार के , 3 पैसे 4 प्रकार के, 5 पैसे 16 प्रकार के, 10 पैसे 44 प्रकार के और 1 रुपये के 90 प्रकार के सिक्को के रिकार्ड) के लिए इन्हें लिम्का बुक आफ रिकार्ड और इण्डिया बुक आफ रिकार्ड ने आमंत्रित किया गया हैं।इस सभी संग्रह के कारण इन्हें वर्ल्ड रिकार्ड स्टेज 2017 पर इनके पूरे परिवार को सम्मानित किया गया।
सतीश सिंघल के पेपर करन्सी के संग्रह की शुरुआत होती है 000001 नम्बर वाले नोट से इसी शृंखला में आगे क्रमनुसार 000002, 000003. . ……………… . . . . . 000101 तक वाले नोट हैं ।
इसी तरह 000010, 000020. ………. … . . 000100 तक के नोटो की सीरीज है
सिंघल जी के पास नोटो की विभिन्न विभिन्न सिरीज है
000100, 000200, …………………………001000
001000, 002000, . . . . ……………… . . . 010000
010000, 020000, …………….. . . . . . . . 100000
100000, 200000. . . …………… . . . . . . 1000000
ये पूरी सिरीज इनके संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही है।
सिरीज का आखिरी नोट सात डिजिट का होता है वो भी इनके पास है.
यह संग्रह यंही पर समाप्त नही होता है अभी तो इनके पास छ: इक्के, छ: दुक्की, छ: तिक्की . . . . . ..छ: नौ मतलब 111111, 222222, 333333, . . . . . ………..999999 नोट भी इनकी धरोहर में हैं।
000786, 0786000, 786000 जैसे नम्बर के नोट भी इनके पास हैं। 100 रुपये और 10 रुपये के पुराने बड़े साईज के नोट भी है। 100 रुपये, 50 रुपये, 20 रुपये, 10 रुपये, 1रुपया, 50 पैसे, 25 पैसे, और 2 आने के सिकके चांदी मिश्रित भी इनके रिकार्ड में शामिल हैं और भी बहुत किस्म-किस्म के सिक्के और नोट म्युजियम में रखे हुए हैं।
बारह साल पहले हुई शुरुआत
लगभग बारह साल पहले श्री सिंघला ने इस संग्रह की शुरूआत की थी. श्री सिंगला बताते हैं की उनके इस संग्रह की शुरुआत यूँ ही अचानक हुई पहले से ही परिवार के पास कुछ पुराने सिक्के थे एक दिन कवि दिनेश रघुवंशी घर आये और बातों बातों में उन्होंने एक पैसे का सिक्का निकाल कर दिखाया तो मैंने कहा की मेरे पास इस से भी छोटा सिक्का है और मैंने उन्हें एक पाई का सिक्का दिखाया जो एक पैसे से भी छोटी मुद्रा है. तब दिनेश रघुवंशी ने सलाह दी की आप सिक्कों का संग्रह करो उसके बाद मैंने सिक्के और नोट जुटाने शुरू किये