Citymirrors.in-गुरू गोबिन्द सिंह के प्रकोशोत्सव पर नगर कीर्तन का सैक्टर 10 समाजसेवी वरिष्ठ भाजपा नेता वासुदेव अरोडा ने साथियो के साथ स्वागत किया एवं उनका आशीर्वाद भी लिया। इस अवसर पर विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया गया। इसअवसर पर वासुदेव अरोडा ने कहा कि उनका सिक्ख धर्म के लिए उल्लेखनीय योगदान था। 1699 में उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की उनके पांच धर्मलेख सिखों सिक्खो का हमेशा मार्गदर्शन करते है। सिक्ख धर्म की स्थापना में उनका योगदान उल्लेखनीय था। उन्होंने 15 वी सदी में प्रथम गुरु गुरुनानक द्वारा स्थापित गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया व गुरु रुप में सुशोभित किया। उन्होंने उपस्थितजनो को सम्बोधित करते हुए कहा कि गुरु गोबिन्द सिंह, गुरु तेग बहादुर के इकलौते पुत्र थे और उनकी माता का नाम गुजरी था। गुरु गोबिन्द सिंह का जन्म पटना में हुआ था। उनके जन्म के समय उनके पिता असम में धर्म उपदेश के लिए गय थे। मार्च 1672 में गुरु गोबिन्द सिंह का परिवार आनंदपुर में आया। यहाँ उन्होंने अपनी शिक्षा ली जिसमे उन्होंने पंजाबीए संस्कृत और फारसी की शिक्षा ली। 1675 मे उनके पिता की मृत्यु के बाद मार्च 1676 में वे गुरु बने। उन्होने सदैव सच्चाई, ईमानदारी का संदेश जन जन को दिया और आज हम सभी को उनके प्रकाशोत्सव के दिन इस बात का प्रण करना होगा कि हम उनके बताये हुए मार्गो पर चलकर अपना जीवन सफल बनाये। इस मौके पर नगर कीर्तन का स्वागत करने वालो में मुख्य रूप से गुरूजीत सिंह प्रधान गुरूद्वारा सेक्टर 9, गुरूमीत सिंह, जगदीश वर्मा वनोद मग्गू, वी के सहगल, संजय भटेजा, दलाल, वी के उप्पल, नन्दा ,नरेश हांडा, सुनील , आर पी कटोच, वाई पी भल्ला, आर के खात्री, ओ पी मनोचा, सतीश वधवा, अजय सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।