रुद्राक्ष धारण करने या पूजन करने वाला व्यक्ति हर तरह से सुखी, संपन्न, समृद्ध और भगवान शिव का कृपापात्र बना रहता है। विजय शर्मा
Citymirrors.in-रुद्राक्ष एक बहुत ही पवित्र चीज़ है और इसका अर्थ “रूद्र का हिस्सा” है। रूद्र भगवान शिव का दूसरा नाम है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसू की बूंदो से हुई है। रूद्राक्ष को आभूषण, संरक्षण, ग्रहों की शांति और आध्यात्मिक लाभ के रूप में प्रयोग किया जाता हैं।भक्त हाथ में 12 रुद्राक्ष, गले में 36 रुद्राक्ष पहन सकते है। मन की शांति,यश ,वैभव, भगवान को पाने का रक्त को कन्ट्रोल करने का सबसे बड़ा उपाय है रुद्राक्ष एक्यूप्रेशर का भी काम करती है। यें बाते फरीदाबाद सेक्टर-21सी पार्क प्लाजा तीन दिवसीय प्रदर्शनी में पहुंचे अंतराष्टीय न्यूमरोलॉजिस्ट और रुद्राक्ष थैरेपिस्ट विजय शर्मा ने पत्रकार वार्ता के दौरान एक प्रश्न के जवाब में कही। देेेश विदेश कई जगहों का भ्रमण कर चुके विजय शर्मा ने कहा कि आज के दौर में 99% रुद्राक्ष नकली मिलता है। असली रुद्राक्ष की पहचान उसका एक्सरे है। जो भी रुद्राक्ष खरीदे उसका एक्सरे छपा कार्ड ही खरीदे। जैसा कि शिव महापुराण में जिक्र किया गया है वैसा रुद्राक्ष केवल नेपाल में ही मिलता है । और उनके द्वारा दिया गया हर रुद्राक्ष 100% सच्चा और शुद्ध होता है । न्यूमरोलॉजिस्ट और रुद्राक्ष थैरेपिस्ट विजय शर्मा जी ने एक सवाल के जवाब में बताया कि रूद्राक्ष को आभूषण, संरक्षण, ग्रहों की शांति और आध्यात्मिक लाभ के रूप में प्रयोग किया जाता है। कुल 36 प्रकार के रूद्राक्ष होते हैं लेकिन इनमें से केवल 11 प्रकार के रूद्राक्ष का उपयोग ही विशेष प्रकार के लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है।हर रुद्राक्ष का अपना अलग महत्व है। उनके पास 100 रुपये से लेकर के 50 लाख तक के रुद्राक्ष है। उनके पास एक से बढ़कर एक बॉलीवुड हस्ती और बडे से बडे राजनीतिक लोग आ चुके है। और आज कई बड़ी उपलब्धि पर विराजमान है। उन्होंने बताया कि वह मुम्बई मैं रहते है और उनका एक ऑफिस लंदन में भी है। शिव भक्तों को सही रुद्राक्ष प्राप्त हो और देश की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिये वह इसकी प्रदर्शनी लगते है। और लोगो को इसके बारे में सही जानकारी भी देते हैं और उनके भक्त उन्हें स्वयं तलाश लेते है।