25 से 30 वर्ष के युवा वर्ग धूम्रपान की चपेट में तेजी से आ रहा है।डॉ हेमंत गोयल
CITYMIRRORS-NEWS-“हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया” ये पंक्तियां धूम्रपान करने वालों पर एकदम सटीक बैठती हैं। आज की तनावपूर्ण जीवनशैली में लोगों ने नशे को अपना एकमात्र साथी बना लिया है। शुरुआती दिनों का शौक धीरे-धीरे लत बन जाता है और ये लत उन्हें धीरे-धीरे मौत के मुंह में ले जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिगरेट या तंबाकू का जितना अधिक सेवन किया जाएग, फेफड़ा उतना अधिक प्रभावित होगा। एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ अस्पताल के श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ हेमंत गोयल का कहना है कि फरीदाबाद एक औद्योगिक क्षेत्र है। यहां पर गुटखा, पान-मसाला, जर्दा, तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट और शराब का सेवन करने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है। इनमें मजदूर, ड्राइवर, फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग और शारीरिक श्रम करने वाले अधिकतर लोग तंबाकू के इन विभिन्न रूपों का सेवन करते हैं। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के शरीर में चूुल्हे के माध्यम से धुआं प्रवेश कर रहा है और उनको सांस का रोगी बना रहा है। ऐसे मरीज जिनकी बीमारी को अधिक समय हो गया है उनको सांस लेने में तकलीफ होती है और खांसी ठीक नहीं होती, क्योंकि उनके फेफडे केवल 15 से 20 प्रतिशत तक ही काम करने में सक्षम होते हैं। उन्हें उपचार के लिए बार-बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। डॉ. हेमंत गोयल ने बताया कि हमारे पास आने वाले मरीजों में करीब 30 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जो किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। इनमें 25 से 30 वर्ष के युवावर्ग धूम्रपान की चपेट में तेजी से आ रहा है। ये वर्ग धूम्रपान को स्टेटस सिंबल मानता है और गु्रप में सिगरेट या शराब का सेवन उनके लिए एक फैशन है। इसके अलावा किसी प्रकार का तनाव होने पर भी वे इसे दूर करने के लिए वे सिगरेट या शराब का सेवन करते हैं। जो मरीज सांस लेने में तकलीफ, खांसी, छाती में दर्द की समस्या लेकर डॉक्टर के पास आते हैं। उनमें अधिकतर धूम्रपान करने वाले हैं, जोकि तनाव से मुक्ति पाने के लिए धूम्रपान करते हैं। एक तरफ तंबाकू, धूम्रपान और दूसरी तरफ प्रदूषण सांस के मरीजों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी कर रहा है। परिवार के किसी सदस्य का बच्चों के सामने धूम्रपान करना न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, बल्कि उन्हें भी धूम्रपान करने के लिए प्रेरित करता है। महिलाएं भी नहीं हैं पीछे: तंबाकू का इस्तेमाल करने में शहरी व ग्रामीण महिलाएं भी पीछे नहीं हैं। धूम्रपान करना व तंबाकू का सेवन फैशन और आधुनिकता की निशानी है जो बाद में लोगों को बीमार बना देती हैं। गर्भवती महिलाओं द्वारा तंबाकू के सेवन से उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान के साथ शराब का सेवन लोगों को न केवल सांस का रोगी बना रहा है, बल्कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार बनाता है। इनमें मुंह, गला, फेफडे व सांस की नली का कैंसर और सर्वाईकल कैंसर शामिल हैं। इसके अलावा दिल से जुड़ी बीमारियां, उच्च रक्तचाप का भी कारण बनता है। डॉक्टर का कहना है कि अपने खानपान और जीवनशैली में बदलाव किया जाए। नियमित व्यायाम करें, धूम्रपान, शराब और तंबाकू का सेवन न किया जाए, संतुलित आहार और शारीरिक श्रम के माध्यम से भी दमा और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।