उत्पादन व व्यापार का घालमेल ठीक नहीं खुदरा एवं थोक व्यापार को एमएसएमई के तहत लाने के फैसले का लघु उद्योग भारती ने किया विरोध
केंद्रीय मंत्री श्री. नितिन गडकरी ने शुक्रवार, 2 जुलाई 2021 को MSMEs के तहत खुदरा और थोक व्यापार को शामिल करने की घोषणा की, जिसके अनुसार, उन्हें RBI के दिशानिर्देशों के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्र को ऋण देने का लाभ भी मिलेगा। इस तरह 2.5 करोड़ खुदरा और थोक व्यापारी लाभान्वित होंगे।
: ज्यादा जानकारी देते ह़ुए लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष बलदेव भाई प्रजापति ने कहा कि उत्पादन और व्यापार दो अलग-अलग क्षेत्र हैं। दोनों की अपनी समस्याएं, चुनौतियां हैं जिनको अलग-अलग योजनाओं से लाभ पहुंचाना चाहिए। लघु उद्योग भारती ने देशभर में खुदरा व्यापारियों को एमएसएमई के तहत लाने का विरोध किया है। केंद्र सरकार से इस फैसले का वापस लेने की मांग हुई है। उन्होंने कहा कि हम व्यापारियों के विरोध में बिलकुल नहीं है। उनका स्वस्थ विकास भी देश के लिए आवश्यक है लेकिन सरकारी नीतियों में लघु उद्योग के साथ व्यापार का घालमेल, लघु उद्योग के लिए संकट पैदा करेगा।
वहीं राष्ट्रीय महासचिव गोविंद लेले ने कहा है कि व्यापारियों को निर्माताओं के साथ मिलाने के बजाय उनके क्षेत्र के लिए प्रासंगिक लाभ दिए जाने का अलग से कोई प्रावधान किया जाना चाहिए। एमएसएमई के लिए व्यवसाय करने में आसानी हो इसलिए : लघु उद्योग मंत्रालय की शुरुआत 1999 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार द्वारा लघु उद्योग के बीच विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए की गई थी। अपने मूल उद्देश्य और फोकस पर टिके रहना महत्वपूर्ण है।Priority Sector Loan (पीएसएल ) की उपलब्ध धनराशि विभाजित हो जाएगी और इसके परिणामस्वरूप एमएसएमई फंडिंग का संकुचन होगा। यह आगे MSME को नकदी संकट के गहरे संकट में डाल देगा। वहीं अरुण बजाज सदस्य, राष्ट्रीय कार्य समिति लघु उद्योग भारती ने कहा है कि बैंकर आमतौर पर बड़ी मात्रा में उद्यमों को छोटे ऋण देने के बजाय उच्च-मूल्य वाले उधार देने का पक्ष लेते हैं। इसलिए, वे थोक व्यापारियों और खुदरा विक्रेताओं से प्राथमिकता वाले क्षेत्र के ऋण के तहत अपने लक्ष्यों को पूरा करना पसंद करेंगे, विशेष रूप से वे जो उच्च मूल्य की वस्तुओं जैसे कार डीलरों और वितरकों आदि से निपटते हैं।
वहीं लघु उद्योग भारती फरीदाबाद के अध्यक्ष रवि खत्री ने कहा है कि इस कदम से विनिर्माण क्षेत्र का संकुचन होगा, जिसके परिणामस्वरूप कई सूक्ष्म और लघु इकाइयां बंद हो जाएंगी। इस पर सरकार को सोचने की जरुरत है। इस कदम से रोजगार सृजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे आयात, रीपैकेजिंग और असेंबलिंग सेक्टर जैसे क्षेत्रों में वृद्धि होगी, जो मेक इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल, आत्मानिर्भर भारत अभियान जैसे सरकार के कार्यक्रमों के विपरीत होगा। खुदरा एवं थोक व्यापार को लघु उद्यम के समान घोषित करना तथा एमएसएमई के लिए सरकारी प्रावधानों के अनुसार उन्हें भी प्राथमिकता के आधार पर लाभ व छूट मिलने से निर्माण और व्यापार की मौलिक संरचना पर असर पड़ेगा। लघु उद्योग भारती फरीदाबाद के महासचिव आरके गुप्ता ने कहा है कि व्यापार के विकास और संवर्द्धन के लिए एक अलग मंत्रालय/विभाग की स्थापना की जाए और उनके हित में नीतियों का निर्माण हो। MSMEs के तहत खुदरा और थोक व्यापार को शामिल करने की घोषणा की“ये सभी कार्यक्रम सराहनीय हैं लेकिन इस मामले में सरकार की रणनीति अपनी ही नीतियों का खंडन कर रही है। अत इस पर सरकार को गौर करने की जरुरत है। लघु उद्योग भारती सरकार से मांग करती है कि MSME की तर्ज पर, खुदरा और थोक व्यापारियों की चिंताओं और समस्याओं के निदान के लिये एक अलग मंत्रालय के बारे में विचार किया जा सकता है।
वहीं लघु उद्योग भारती फरीदाबाद के अध्यक्ष रवि खत्री ने कहा है कि इस कदम से विनिर्माण क्षेत्र का संकुचन होगा, जिसके परिणामस्वरूप कई सूक्ष्म और लघु इकाइयां बंद हो जाएंगी। इस पर सरकार को सोचने की जरुरत है। इस कदम से रोजगार सृजन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे आयात, रीपैकेजिंग और असेंबलिंग सेक्टर जैसे क्षेत्रों में वृद्धि होगी, जो मेक इन इंडिया, वोकल फॉर लोकल, आत्मानिर्भर भारत अभियान जैसे सरकार के कार्यक्रमों के विपरीत होगा। खुदरा एवं थोक व्यापार को लघु उद्यम के समान घोषित करना तथा एमएसएमई के लिए सरकारी प्रावधानों के अनुसार उन्हें भी प्राथमिकता के आधार पर लाभ व छूट मिलने से निर्माण और व्यापार की मौलिक संरचना पर असर पड़ेगा। लघु उद्योग भारती फरीदाबाद के महासचिव आरके गुप्ता ने कहा है कि व्यापार के विकास और संवर्द्धन के लिए एक अलग मंत्रालय/विभाग की स्थापना की जाए और उनके हित में नीतियों का निर्माण हो। MSMEs के तहत खुदरा और थोक व्यापार को शामिल करने की घोषणा की“ये सभी कार्यक्रम सराहनीय हैं लेकिन इस मामले में सरकार की रणनीति अपनी ही नीतियों का खंडन कर रही है। अत इस पर सरकार को गौर करने की जरुरत है। लघु उद्योग भारती सरकार से मांग करती है कि MSME की तर्ज पर, खुदरा और थोक व्यापारियों की चिंताओं और समस्याओं के निदान के लिये एक अलग मंत्रालय के बारे में विचार किया जा सकता है।