लघु उद्योग भारती ने केंद्र सरकार की उद्यम पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व की गई नई नीति से कुटीर, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के हितों को पहुँच सकती है हानि। अरुण बजाज
लघु उद्योग भारती ने केंद्र सरकार की उद्यम पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व की गई नई नीति से कुटीर, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के हितों को पहुँच सकती है हानि। गोविंद लेले
कुटीर, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों का प्रतिनिधित्व करने वाला भारत का एकमात्र संगठन लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष बलदेव भाई प्रजापति महामंत्री गोविंद लेले ने केंद्र, लघु व मध्यम उद्योग मंत्रालय द्वारा आर्थिक सुधारों के अंतर्गत जारी अधिसूचना के अंतर्गत ‘ उद्यम पंजीकरण’ से पूर्व सुधारो की मांग करते हुए अपना पक्ष मंत्रालय को भेजा है। ऑनलाइन मीटिंग में उन्होंने कहा कि नई नीति से विपदा के समय भारतीय अर्थव्यवस्था के तारणहार बनें कुटीर, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के हितों को हानि पहुँचने का अंदेशा है। देश हित के कई मुद्दे भी इस अधिसूचना में शामिल ही नही किए गए है।
इस संबंध में फरीदाबाद दिल्ली एनसीआर से लघु उद्योग भारती राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री अरुण बजाज और जिला लघु उद्योग भारती के पदाधिकारियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए है। इस मौके पर श्री अरुण बजाज ने कहा है कि इस पर सुधारो की चर्चा करते हुए बताया कि सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों का पंजीकरण केवल भारतीय स्वामित्व वाले उद्योगों का हो, उद्योगों में वर्गीकृत निर्माण इकाइयों और निर्माण सेवा प्रदाता इकाइयों को व्यापार व अन्य सेवा गतिविधियों से अलग रखा जाए। श्री अरुण बजाज ने उद्योगों के वर्गीकरण की नई परिभाषा में प्लांट और मशीनरी में निवेश राशि की गणना से एम एस एम ई डी एक्ट की धारा 7 की उप धारा 1 में स्पष्टीकरण पर जोर देते हुए इसे आवश्यक बताया है। और इसमें प्लांट और मशीनरी में निवेश संबंधी बातों में नई परिभाषा के साथ दूर किया जाना चाहिए।इसे बदल कर सभी वास्तविक निवेश ( भूमि, भवन, फर्नीचर और फिटिंग छोड़ कर) राशि को गणना में शामिल करना चाहिए।
लघु उद्योग भारती के प्रधान श्री रवि भूषण खत्री ने जारी अधिसूचना में आश्चर्यजनक रूप से टर्नओवर के लिए जो मापदंड बनाए गए है, उनमे से निर्यात के टर्नओवर को बाहर कर दिया गया है,उसे कुल टर्नओवर में शामिल करना आवश्यक बताया है जिस ढंग से निवेश की सीमा बढ़ाई गई है, उससे प्रतीत होता है कि बड़े और मध्यम उद्योगों को छोटा दिखा कर सूक्ष्म, लघु उद्योगों के लिए सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में 25 प्रतिशत की जो खरीद आरक्षित की गई है, उसमे अवांछित सेंध लगाई जा रही है। ऐसे में सूक्ष्म, लघु, बड़े व मध्यम उद्योगों के साथ प्रतियोगिता करने में सक्षम नही रहेंगे।
वहीं महासचिव श्री राकेश गुप्ता ने शपष्ट किया कि भारतीय नागरिक स्वामित्व की मांग इस लिए की जा रही है क्योंकि देखने मे आया है कि कई मध्यम और बड़े उद्योग विदेशो से अप्रत्यक्ष निवेश हासिल करके कार्य कर रहे है। कुल मिलाकर यह कदम आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते देश और सूक्ष्म, लघु उद्योगो के कदमो रोकेगा। विनिर्माण के क्षेत्र में विदेशी निवेश और नियंत्रण को अप्रत्यक्ष रूप में बढ़ावा देगा।केंद्र सरकार की उद्यम पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने से पूर्व की राष्ट्रहितैषी सुधारो को मांग नई नीति से कुटीर, सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों के हितों के बिल्कुल खिलाफ कदम है। इस मौके पर ऑनलाइन मीटिंग में उपाध्यक्ष बलवीर सिंह, आरके चावला, एग्जिक्यूटिव सदस्य सुरेंद्र जांगड़ा, ट्रेजरार अमृतपाल सिंह कोचर, सुरेंद्र बंसल, संजय अरोड़ा समेत कई लोग मौजूद रहे।