हरियाणा की राजनीति में होने वाला है बड़ा धमाका। बीजेपी अपने मंसूबे में सफल होती दिखाई दे रही है।
Citymirrors-news-कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के बाद अब भाजपा और गठबंधन सरकार में सहयोगी बनी जजपा के बीच कूटनीतिक राजनीति शुरू हो चुकी है । गत दिवस हुए मंत्रिमंडल विस्तार से जजपा के लगभग आधा दर्जन विधायकों में उभरा अंदरूनी असंतोष भाजपा के इरादों को तेजी से आगे बढ़ाने का काम कर रहा है । यंग हरियाणा न्यूज़ नेटवर्क को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंत्री ना बनाए जाने से जेजेपी के 7 विधायक नाराज हैं । गुहला से विधायक ईश्वर सिंह और नारनौंद से विधायक रामकुमार गौतम ने तो कथित रूप से कल सुबह दुश्यंत चौटाला को खरी खरी सुनाई और कहा कि वरिष्ठ होने के बावजूद उन्हें क्यूं मंत्री नहीं बनाया गया ।राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में जेजेपी में विद्रोह भी हो सकता है और ये विधायकों के साथ पार्टी से अलग राह पकड़ सकते हैं ।
वर्तमान विधानसभा में जे जे पी के कुल 10 विधायक बने हैं । इनमें से दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं । उन्होंने अपने चाचा रणजीत सिंह चौटाला को मंत्री पद दिलाने में अहम भूमिका निभाई बताते हैं । वैसे तो रणजीत सिंह चौटाला निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे थे , मगर सूत्रों का कहना है कि वह जेजेपी और इनेलो के आंतरिक सहयोग से रानियां से विधायक बने हैं । रणजीत सिंह चौटाला ने जेजेपी के साथ ही भाजपा को अपना समर्थन देना घोषित किया था । जेजेपी के कोटे से ही अनूप धानक को भी मंत्री बनाया गया है ।
जे जे पी के चर्चित दावेदार एवं नारनौंद से पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु को हराकर विधायक बने राम कुमार गौतम , वरिष्ठ जेजेपी नेता चौधरी ईश्वर सिंह व भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला को हराकर विधायक बने जेजेपी के देवेंद्र बबली आदि को मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया है । इससे जे जे पी के विधायकों में खासा रोष व्याप्त हो चला है । भाजपा के रणनीतिकार जेजेपी के असंतुष्ट विधायकों पर बराबर नजर रखे हुए हैं । असंतुष्ट जेजेपी विधायकों का मानना है कि वे भाजपा से सीधे जुड़कर अधिक लाभ पा सकते हैं ।
इधर अनेक राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि विगत में हरियाणा में जब भी गठबंधन सरकार में भाजपा शामिल रही है , तो वह अपने गठबंधन सहयोगी से अधिक मजबूत होकर निकली है । जबकि इन दिनों अमित शाह जैसा चमत्कारी रणनीतिकार भी भाजपा के खूब काम आ रहा है । ऐसे में कोई ताज्जुब नहीं होगा कि आने वाले करीब 3 महीनों के भीतर हरियाणा में कोई भी बड़ा राजनीतिक विस्फोट हो सकता है । उधर , बदले राजनीतिक हालातों में अब पहले की बजाय जेजेपी पार्टी के विधायकों पर तेजाखेड़ा फार्म हाउस का उतना दबदबा भी नहीं है ।
राजनीति की समझ रखने वाले लोगों का कहना है कि अगर भाजपा चाहती तो निर्दलीयों के सहारे भी सरकार बना सकती थी । मगर जे जे पी का समर्थन एक रणनीति के तहत स्वीकार किया गया है । अनुकूल राजनीतिक परिस्थितियों में भाजपा अपनी इस रणनीति के रास्ते चलकर अपना मिशन पूरा करने में समय ज्यादा नहीं लगाएगी ।
इसी बीच खबर है कि जेजेपी के विधायकों में असंतोष की खबर पाकर पार्टी नेतृत्व ने डैमेज कंट्रोल के प्रयास तेज कर दिए हैं ।